नागा विद्रोहियों से भारत सरकार ने किया समझौता
४ अगस्त २०१५भारतीय अधिकारियों ने प्रधानमंत्री की उपस्थिति में नेशनल सोशलिस्ट कॉन्सिल ऑफ नागालैंड (एनएससीएन-आईएम) के साथ समझौते पर दस्तखत किए. यह संगठन इलाके के उन कई संगठनों में शामिल है जो चीन, म्यांमार, बांग्लादेश और भूटान से लगी सीमा के इलाके में सक्रिय हैं. एनएससीएन-आईएम एक नागा होमलैंड की मांग कर रहा है जिसमें पूर्वोत्तर के कई राज्यों के इलाकों के अलावा पड़ोसी म्यांमार के कुछ इलाके भी शामिल होंगे. यह संगठन 1997 से भारत सरकार के साथ बातचीत कर रहा है.
एनएससीएन-आईएम के संस्थापकों में शामिल महासचिव थुइंगालेंग मुइवा के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "हम आज एक नई शुरुआत कर रहे हैं. 60 साल लड़ने के लिए लंबा समय है. जख्म गहरे हैं." समझौते की शर्तों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है लेकिन मोदी सरकार ने कहा है कि वह सालों से उपेक्षित रहे इलाके का अतिरिक्त संसाधान देकर और बेहतर ढांचा बनाकर विकास करना चाहती है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "प्रधानमंत्री बनने के बाद से पूर्वोत्तर में शांति, सुरक्षा और आर्थिक परिवर्तन मेरी उच्चतम प्राथमिकता रही है. यह मेरी विदेशनीति खासकर एक्ट ईस्ट के भी केंद्र में है." भारत दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ संबंधों को गहरा बनाने में लगा है.
इस बीच पूर्वोत्तर के दूसरे चरमपंथियों ने इस साल सेना पर हमले बढ़ा दिए हैं. नगालैंड की सीमा पर स्थित मणिपुर में छापामार हमले में इस साल जून में 20 सैनिक मारे गए. पूर्वोत्तर में इस साल हुए उपद्रवों में 170 लोग मारे गए हैं. दक्षिण एशिया आतंकवाद पॉर्टल के अनुसार पिछले साल 465 लोग मारे गए थे. भारत में चरमपंथी हिंसा में कमी आ रही है लेकिन जम्मू और कश्मीर तथा नक्सलवादी हिंसा का अभी तक समाधान नहीं निकला है. मोदी ने इसाक-मुइवा ग्रुप के साथ हुए समझौते के मौके पर कहा, "सबसे पुराने अलगवादवादी आंदोलन का समाधान हो रहा है, यह दूसरे छोटे दलों को संकेत है कि वे हथियार त्याग दें."
एमजे/आईबी (रॉयटर्स)