नाक है या सुराख ए दरिया
"बिग नोज वर्ल्ड कप" क्या आपने इस प्रतियोगिता के बारे में सुना है. जर्मनी में हर पांच साल में होने वाले इस मुकाबले कई लोग अपनी बड़ी नाक लिये पहुंचते हैं.
बड़ी नाक वाले इधर आएं
दक्षिण जर्मनी के एरलांगन ब्रुक में पांच साल बाद "बिग नोज वर्ल्ड कप" आयोजित होता है. इसमें हिस्सा लेने वालों की नाक की चौड़ाई और लंबाई नापी जाती है. यह विश्व कप बीते चार दशक से चल रहा है. इसमें दुनिया का कोई भी शख्स हिस्सा ले सकता है.
दुनिया के पहले नाक क्लब
आयोजकों ने 1961 में "वर्ल्ड्स फर्स्ट नोज क्लब" बनाया. क्लब के मुताबिक यह दुनिया के सबसे ओरिजिनल क्लबों में से है. इसके सदस्य नियमित रूप से एक दूसरे से मिलते हैं. सदस्य बेहद मजाकिया स्वभाव के हैं. क्लब का नारा है, "बड़ी नाक अच्छी नाक है."
कैसे चुना जाता है चैंपियन
2016 में हुआ आठवां बिग नोज वर्ल्ड कप जीतने लॉरेल भी पहुंचीं. उन्हें 2011 के चैंपियन और हॉलैंड के हंस रोएस्ट को हराना था. रोएस्ट की नाक 65.66 मिलीमीटर लंबी और 52.82 मिलीमीटर चौड़ी है. क्लब सदस्यों के मुताबिक आम तौर पर वियतनाम की नाक के जीतने की संभावना सबसे ज्यादा होती है.
मजेदार आयोजन
बिग नोज वर्ल्ड कप के दौरान एरलांगेन ब्रुक कस्बे को सजा दिया जाता है. प्रतियोगिता के दौरान गीत, संगीत, नाच और खाने पीने का बढ़िया इंतजाम होता है. इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए जर्मनी, इटली, स्वीडन, ऑस्ट्रिया और नीदरलैंड्स समेत कई देशों लोग आते हैं. लेकिन फाइनल तक कम ही पहुंच पाते हैं.
धोखाधड़ी रोकने के लिए
कुछ मजाकिया लोग नाक में रूई ठूंसकर मुकाबला जीतने पहुंच जाते हैं. आयोजक कड़ी पड़ताल कर ऐसा करने वालों को बाहर करते हैं. उन पर 10 साल का प्रतिबंध भी लगाया जाता है. मुकाबले की शुरुआत में आयोजक चम्मच और खास उपकरणों से नाक की जांच करते हैं.
मुस्कुराते हुए नाप
नाक की नपाई के दौरान प्रतिभागियों से मुस्कुराने को कहा जाता है. ऐसा करने से नाक अधिकतम फैलती है और नाप सही मिलती है. आयोजक कहते हैं कि नाक ओरिजनल होनी चाहिए.
कौन जीता खिताब
खिताब एक बार फिर नीदरलैंड्स के हंस रोएस्ट की नाक में. विजेता रोएस्ट (तस्वीर में दाएं) बड़ी विनम्रता से कहते हैं, "मैंने नीदरलैंड्स में इससे भी बड़ी नाकें देखी हैं." ये जीत उन लोगों को भी समर्पित है.