नहीं बनेगी संयुक्त संसदीय समिति: पीएम
२६ अप्रैल २०१०दिन भर हुए हंगामे के बाद प्रधानमंत्री ने कहा, ''संयुक्त संसदीय समिति किस चीज़ के लिए. यह मामला जेसीपी (संयुक्त संसदीय समिति) के लायक ही नहीं है.'' विपक्ष पर तीखा हमला करते हुए पीएम ने कहा कि वह विवाद पर सदन में बयान देने के लिए तैयार थे, लेकिन संसद में सिर्फ़ हंगामा हो रहा था.
फोन टैपिंग अलावा प्रधानमंत्री ने आईपीएल विवाद का ज़िक्र किया और कहा कि उसकी जांच के लिए भी जेसीपी नहीं बनाई जाएगी.
इससे पहले सोमवार सुबह से ही संसद में कई फोन टैपिंग विवाद को लेकर हंगामा शुरू हुआ और लगातार बढ़ता चला गया. राज्यसभा और लोकसभा में विपक्ष ने सरकार से इस मामले में सफाई देने की मांग की. इस पर लोकसभा में गृहमंत्री पी चिदंबरम ने कहा, ''पिछली यूपीए सरकार और मौजूदा सरकार ने कभी किसी नेता के फोन टैप करने जैसा आदेश नहीं दिया.''
लेकिन गृहमंत्री बयान से भी हंगामा नहीं थमा. बीजेपी के नेताओं ने प्रधानमंत्री से इस मामले पर बयान देने की मांग की. बढ़ते हंगामे के बीच संसद के दोनों सदनों को स्थगित करना पड़ा.
हाल ही में आउटलुक पत्रिका ने यह दावा किया था कि सरकार ने कृषि मंत्री शरद पवार, कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह, सीपीआईएम ने प्रकाश करात और बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के फोन टैप करवाए. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद से ही भारतीय राजनीति में हड़कंप मचा हुआ है.
सोमवार को गृहमंत्री ने कहा, ''पत्रिका में लगाए गए आरोपों की जांच की जा रही है. अगर ऐसा कोई मामला सामने आता है तो उसकी गंभीरता से जांच की जाएगी.''
बीजेपी और विपक्ष की मांग है कि इस मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति बनाई जाए. बीजेपी नेता आडवाणी ने अपने ब्लॉग में "क्या यह इमरजेंसी की वापसी है" शीर्षक से लिखा है कि 1885 के भारतीय टेलिग्राफ कानून को खत्म किया जाए और इसकी जगह ऐसा कानून लाया जाए जिसमें आम नागरिकों की प्राइवेसी के अतिक्रमण को रोका जा सके. आडवाणी के मुताबिक इस कानून में राष्ट्र को पास अपराध, कानूनों के उल्लंघन या जासूसी जैसे मामलों में ही फोन टैपिंग की तकनीकों के इस्तेमाल की अनुमति होनी चाहिए.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: प्रिया एसेलबॉर्न