नस्लभेदी हमलों पर भारत से नाराज अफ्रीकी डिप्लोमैट्स
३ अप्रैल २०१७एक हफ्ते पहले राजधानी नई दिल्ली के पास ग्रेटर नोएडा में हुए हमले में कम से कम एक दर्जन अफ्रीकी लोग घायल हुए थे. स्थानीय लोगों ने एक किशोर की ड्रग ओवरडोज से हुई मौत के लिए नाइजीरियाई छात्रों को जिम्मेदार ठहराया. जब पुलिस ने उनके खिलाफ कोई सबूत ना होने के चलते नाइजीरियाई छात्रों को रिहा कर दिया तो भीड़ ने उनको घेर कर खूब पिटाई की. यह पिटाई कैमरे पर कैद हो गयी और सोशल मीडिया के जरिये दूर दूर तक पहुंची.
भारत के विदेश मंत्रालय ने इन घटनाओं को "निंदनीय" करार देते हुए नाइजीरियाई लोगों को भारत में सुरक्षित रखने का भरोसा दिलाया. पुलिस ने अब तक दस में छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. इस घटना से भारत में अफ्रीकी मूल के लोगों के खिलाफ बरते जाने वाले भेदभाव के रवैये और नस्लभेदी बर्ताव पर बहस छिड़ी है. हाल के सालों में ऐसे नस्लभेदी हमले बढ़े हैं.
एक बयान जारी कर अफ्रीकी मिशन प्रमुख ने कहा कि पहले भी हो चुके ऐसे हमलों के बावजूद नई दिल्ली की ओर से ऐसी "समस्या के निवारण के लिए अब तक कोई ज्ञात, पर्याप्त और प्रत्यक्ष उपाय नहीं हुआ." बयान में कहा है कि अफ्रीकी लोगो के साथ हो रही नस्लीय हिंसा के इस ताजा हमले या पिछले कई हमलों के समय भी प्रशासन ने उसकी "पर्याप्त निंदा" तक नहीं की.
डिप्लोमैट्स ने ताजा हिंसा को "जेनोफोबिया और नस्लवाद" का मामला बताते हुए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से इसकी स्वतंत्र रूप से जांच कराने की मांग की है. भारत में पढ़ाई और नौकरी के लिए हजारों की संख्या में अफ्रीकी लोग रहते हैं. यह लोग कई बार भेदभावपूर्ण व्यवहार के शिकार बनाए जाने की शिकायत करते हैं. भारत में उन पर अक्सर ड्रग्स के अवैध कारोबार के आरोप लगाए जाते हैं.
बीते साल कांगो के एक शिक्षक की पीट पीट कर मार डालने की घटना सामने आई थी. नई दिल्ली में ही तीन भारतीय युवाओं ने ऑटो रिक्शा को लेकर हुए विवाद के चलते उनकी हत्या कर दी.
2013 में एक नाइजीरियाई नागरिक गोवा में मारा गया था. दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री सोमनाथ भारती पर भी 2014 में एक अफ्रीकी महिला का उत्पीड़न करने का आरोप लगा था. मंत्री लोगों की भीड़ लेकर दिल्ली के एक इलाके में पहुंचे थे, उन्होंने अफ्रीकी महिलाओं को देह व्यापार का आरोपी बताया.
आरपी/ओएसजे (एएफपी)