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ध्यानचंद पर प्रदर्शनी के साथ बर्लिन में स्वतंत्रता दिवस

महेश झा१५ अगस्त २०१६

ओलंपिक खेलों के दौरान हो रहा भारत का 70वां स्वतंत्रता दिवस बर्लिन का भारतीय दूतावास हॉकी के जादूगर ध्यानचंद पर एक प्रदर्शनी के साथ मना रहा है.

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Indien Feier zum Tag der Republik 26.01.2015 Bangalore
तस्वीर: picture-alliance/epa/Jagadeesh NV

15 अगस्त 1936 को मेजर ध्यानचंद को अंदाजा भी नहीं रहा होगा कि वे बर्लिन के स्टेडियम में अपनी हॉकी स्टिक से एक नहीं, दो-दो इतिहास लिखने वाले थे. किसे पता था कि बर्लिन में भारत के भविष्य में यह तारीख और यह मैच इस कदर अहम हो जाएंगे. बर्लिन ओलंपिक के फाइनल में भारत और जर्मनी का मुकाबला था. फाइनल 14 अगस्त को होने वाला था लेकिन उस दिन बड़ी बारिश हुई. इसलिए मैच 15 अगस्त को खेला गया. आजादी से 11 साल पहले 15 अगस्त को. मैच से पहले मैनेजर पंकज गुप्ता ने तिरंगा निकाला जिसे सभी खिलाड़ियों ने सैल्यूट किया और मैच खेलने निकल पड़े. मैच देखने के लिए हॉकी स्टेडियम में 40,000 लोग आए थे. भारत से बड़ौदा के महाराजा और भोपाल की बेगम भी मौजूद थीं. भारत ने जर्मनी को 8-1 से हराया था. इनमें ध्यानचंद के तीन गोल थे.

Berlin Ausstellung Hockey Wizard Major Dhyan Chand
#तस्वीर: Embassy of India, Berlin

उस मैच को अब जर्मनी में याद किया जा रहा है, ध्यानचंद और स्वतंत्रता दिवस के साथ. मेजर ध्यानचंद पर बर्लिन में पहली बार ऐसी प्रदर्शनी हो रही है जिसमें खेल के मैदान पर उनके हुनर की तस्वीरों के अलावा उन्हें मिले पदक और उनकी निजी चीजें भी दिखाई जा रही हैं. इन चीजों में उनके ओलंपिक के दौरान पहने गये कोट, टाई और चश्मे के अलावा ट्रेनिंग सेशन और 1936 मे बर्लिन में हुए फाइनल मुकाबले की ऑरिजनल रिकॉर्डिंग भी शामिल होगी. बर्लिन ओलंपिक के दौरान भारतीय टीम पर जर्मन अखबारों में मीडिया कवरेज की कटिंग्स भी प्रदर्शनी के दौरान देखी जा सकती हैं. यह प्रदर्शनी एक महीना चलेगी और रोजाना दोपहर बाद दो बजे से चार बजे तक आम लोगों के लिए खुली रहेगी.

Berlin Ausstellung Hockey Wizard Major Dhyan Chand
तस्वीर: Embassy of India, Berlin

29 अगस्त 1905 को जन्मे ध्यानचंद को दुनिया के बेहतरीन खिलाड़ियों में शुमार किया जाता है. हॉकी में उनकी वही जगह है जो क्रिकेट में डॉन ब्रेडमैन, फुटबॉल में पेले और मुक्केबाजी में मोहम्मद अली की है. बर्लिन ओलंपिक में भारतीय टीम के सदस्य रहे और बाद में पाकिस्तानी टीम के कप्तान बने आईएनएस दारा ने कहा था, "डी में घुसने के बाद वो इतनी तेजी और ताकत से शॉट लगाते थे कि दुनिया के सबसे अच्छे गोलकीपर के लिए भी कोई मौका नहीं रहता था."

इस प्रदर्शनी के उद्घाटन के मौके पर खास बात यह होगी कि इसका उद्घाटन तो भारतीय राजदूत गुरजीत सिंह करेंगे लेकिन इस मौके पर जर्मनी के ओलंपिक खिलाड़ी नताशा केलर और उनके भाई फ्लोरियान केलर भी मौजूद होंगे. उनके दादा एरविन केलर जर्मनी हॉकी टीम के सदस्य थे और उन्होंने बर्लिन में 1936 के ओलंपिक खेलों में ध्यानचंद की भारतीय हॉकी टीम के खिलाफ खेला था. नताशा केलर खुद जर्मनी की उस महिला हॉकी टीम की सदस्य रही हैं जिसने 2004 ओलंपिक में सोने का पदक जीता था. 2012 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में उन्होंने उद्घाटन समारोह में जर्मनी का झंडा उठाया था और यह सम्मान पाने वाली पहली फील्ड हॉकी खिलाड़ी बनीं. नताशा के भाई फ्लोरियान केलर भी जर्मनी की पुरुषों की हॉकी टीम के सदस्य रहे हैं. 2008 में वह जर्मनी की राष्ट्रीय हॉकी टीम के सदस्य थे जिसने बीजिंग में सोने का पदक जीता था.

Indische Botschaft in Deutschland Berlin Abhinav Bindra Gurjit Singh Neeru Singh
तस्वीर: Indische Botschaft Berlin

भारत और जर्मनी के बीच कारोबारी संबंधों के अलावा विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में निकट सहयोग होता रहा है. खेल का इलाका दोनों देशों के बीच सहयोग का नया इलाका है जिसपर भारतीय दूतावास खासा ध्यान दे रहा है. हालांकि ट्रेनिंग के क्षेत्र में दोनों देश लंबे समय से सहयोग कर रहे हैं और करीब 100 भारतीय ट्रेनर जर्मनी में प्रशिक्षण ले चुके हैं. पिछले समय भारतीय खिलाड़ी भी ट्रेनिंग के लिए जर्मनी आ रहे हैं . हाल में राजदूत सिंह ने जर्मनी में ट्रेनिंग ले रहे ओलंपिक विजेता अभिनव बिंद्रा के सम्मान में एक पार्टी दी थी.