धरती से टकराएगा उपग्रह
७ नवम्बर २०१३यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ईएसए) की यह सैटेलाइट अंतरिक्ष में 2009 से काम कर रही थी. चार साल काम के बाद पिछले महीने अक्टूबर में सैटेलाइट का ईंधन खत्म हो गया और ये पृथ्वी के वायुमंडल की तरफ बढ़ने लगी. ईएसए के मुताबिक धरती के वायुमंडल में घुसते ही सैटेलाइट के टुकड़े टुकड़े हो जाएंगे. गर्मी और घर्षण के कारण ये कई हिस्सों में बिखर जाएगी. लेकिन यह हिस्से कहां गिरेंगे, इसका अंदाजा फिलहाल नहीं लग पाया है. जीओसीई नाम के उपग्रह के मिशन मैनेजर रुने फ्लोबेर्गहागन कहते हैं, "कुछ घंटे पहले बहुत कुछ सटीक ढंग से बता सकेंगे."
जीओसीई को मार्च 2009 में पृथ्वी की कक्षा में पहुंचाया गया. धरती से इसकी दूरी 260 किलोमीटर थी, हालांकि बाद में इस दूरी को घटाकर 224 किलोमीटर कर दिया गया. यह धरती के सबसे करीब परिक्रमा करने वाली रिसर्च सैटेलाइट थी.
इसमें 41 किलोग्राम ईंधन भरा था. वैज्ञानिकों को उम्मीद थी कि ईंधन 20 महीने चलेगा, लेकिन ये करीब करीब 40 महीने चला. अक्टूबर 2013 में ईंधन खत्म होने के बाद सैटेलाइट डगमगाने लगी और चक्कर काटने के दौरान पृथ्वी के करीब आने लगी. पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में आने के बाद इसका धरती से टकराना लाजमी है.
ईएसए के स्पेसक्राफ्ट ऑपरेशन मैनेजर क्रिस्टोफ श्टाइगर के मुताबिक धरती से 80 किलोमीटर की दूरी पर 5.3 मीटर लंबा स्पेसक्राफ्ट टूट जाएगा. लेकिन हमारे वायुमंडल की गर्मी और घर्षण के बावजूद इसका एक चौथाई हिस्सा बचा रहेगा. इस एक चौथाई हिस्से का वजन करीब 250 किलोग्राम का होगा और ये कई टुकड़ों में बिखर कर धरती से टकराएगा. ये टुकड़े सैकड़ों किलोमीटर तक फैल सकते हैं.
श्टाइगर मानते हैं कि टुकड़ों से इंसान को बहुत कम खतरा है. वह कहते हैं कि आकाश में कड़कने वाली बिजली के किसी इंसान पर गिरने की जितनी संभावना रहती है, उससे भी 65,000 गुना कम आशंका है कि ये टुकड़े किसी इंसान पर गिरेंगे. वैसे इसी साल रूस के चलयाबिंस्क में अंतरिक्ष से आए एक पिंड के टुकड़े गिरे थे. इसकी वजह से 1000 से ज्यादा लोग जख्मी हुए.
अंतरिक्ष इंसानी उपग्रहों के कचरे से भरा हुआ है. बीते 50 साल में अंतरिक्ष से आए किसी मानव निर्मित कचरे से इंसान को कोई नुकसान नहीं हुआ है. श्टाइगर कहते हैं कि हर साल 20 से 40 टन अंतरिक्ष कचरा कहीं न कहीं गिरता है. इसके बावजूद किसी हादसे को टालने के लिए ग्लोबल स्पेस डेब्रीज कोऑर्डिनेटिंग कमेटी इस सैटेलाइट पर नजर रख रही है. सैटेलाइट के बार में दुनिया भर के देशों को लागातार जानकारी दी जा रही है.
ओएसजे/एजेए (एएफपी)