1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

धरती की गर्मी घटाने की नई तकनीक

२१ जुलाई २०१०

अगर धरती का तापमान सिर्फ दो डिग्री कम करना है तो जरूरी है कि दुनिया के सभी देश दो हज़ार पचास तक जहरीली गैसों का उत्सर्जन 95 फीसदी कम कर दें. ये बात असंभव सी लगती है लेकिन ऐसा है नहीं.

https://p.dw.com/p/OQOW
तस्वीर: AP

ब्लूप्रिंट जर्मनी नाम के एक अध्ययन के मुताबिक कारखानों में पारंपरिक ऊर्जा का इस्तेमाल कम किया जा सकता है. इको इंस्टीट्यूट बर्लिन के फेलिक्स माथेस कहते हैं

'जो हम आज तक जानते हैं, उसके आधार पर जहरीली गैसों के उत्सर्जन में 95 फीसदी की कमी की जा सकती हैं. जीवन जैसा चल रहा है वैसा ही चलेगा. हम औद्योगिक देश ही बने रहेंगे, संपन्न भी और बड़े घरों भी रह सकेंगे.'

G8 Klima die Erde
ताकी बची रहे धरतीतस्वीर: AP

कई हार्डकोर पर्यावरणवादियों का मानना है कि पृथ्वी का तापमान कम करने के लिए पूरे यूरोप को उस स्थिति में लौटना होगा जैसा वह औद्योगिकीकरण के पहले था. लेकिन वाकई में ऐसा करने की जरूरत नहीं है. इस नई स्टडी में ये कहा गया है कि जर्मनी का हर व्यक्ति हर साल 11 टन ज़हरीली गैसों के उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है इसे बिना किसी बदलाव के वो शून्य दशमलव तीन पर ला सकता है.

ऐसे मकान बनाए जाएं जो ऊर्जा बचाएं, इलेक्ट्रो या हाइब्रिड कारें जो पारंपरिक ऊर्जा से नहीं चलतीं, यातायात व्यवस्था में बदलाव और ऐसे नए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का निर्माण जो ऊर्जा की खपत नहीं बढ़ाएं. जर्मनी इस दिशा में पहला कदम बढ़ा सकता है. मेक्सिको में वर्ल्ड वाइड फंड ऑफ नेचर की जलवायु परिवर्तन की निदेशक वेनेसा पेरेत्स सिएरा कहती हैं 'जर्मनी रास्ता दिखा सकता है कि कैसे औद्योगिक विकास और उतसर्जन मे कमी एक साथ की जा सकती है. हमारी आधी से ज्यादा जनसंख्या गरीबी में रहती है हमें अर्थव्यवस्था बेहतर करनी है लेकिन साथ ही ये भी सोचना है कि जहरीली गैसों के उत्पादन को बिना बढ़ाए हम ये कैसे कर सकते हैं.'

मेक्सिको ही नहीं भारत का भी हाल कुछ ऐसा ही हैं. यहां हमने पारंपरिक घरों की व्यवस्था बदल दिया है. ऐसे घर जो गर्मी में ठंडे रहते थे और ठंड में गरम, जहां पंखों की जरूरत कभी महसूस नहीं होती थी. ऐसी एक परंपरा को छोड़ कर कांच की बहुमंजिला इमारतें बना रहे हैं जिन्हें ठंडा करने के लिए चौबीसों घंटे एसी चाहिए.

Flash-Galerie belgische Ratspräsidentschaft
पर्यावरण के दुश्मन शीशे के मकानतस्वीर: AP

बहरहाल ब्लूप्रिंट जर्मनी नाम के अध्ययन में ये भी साफ हुआ है कि भले ही ये रोज के जीवन में भारी बदलाव नहीं लाए लेकिन अगले चालीस साल में धरती का तापमान दो डिग्री कम करने के लिए बाईस अरब यूरो के निवेश की जर्मनी को जरूरत होगी. लेकिन लंबी अवधि के लिए ये निवेश फायदेमंद ही साबित होगा.

धरती का तापमान घटाने की कोशिश में आप अपने दिमाग का तापमान नहीं बढ़ाएं. कूल रहें और अपने स्वास्थ्य का खयाल रखें.

रिपोर्टः आभा मोंढे

संपादनः एन रंजन