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द ग्रेट इंडियन जुगाड़ ने जर्मनी में जीता अवॉर्ड

२५ जुलाई २०१०

भारत में मजाक में कहा जाता है कि यहां कुछ भी काम जुगाड़ से हो सकता है. इसी बात को आधार बनाकर दिल्ली की एक फिल्मकार अनंदना कपूर ने डॉक्युमेंट्री बना डाली. उनकी यह डॉक्युमेंट्री हिट रही और विदेशों में अवॉर्ड जीत रही है.

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श्टुटगार्ट फेस्टिवल में चमकी जुगाड़तस्वीर: AP

हाल ही में जर्मनी के शहर श्टुटगार्ट में हुए भारतीय फिल्मों के एक फेस्टिवल में द ग्रेट इंडियन जुगाड़ नाम की इस फिल्म को बेस्ट डॉक्युमेंट्री अवॉर्ड से नवाजा गया.

बॉलीवुड एंड बियॉन्ड नाम के इस फेस्टिवल में विहिर- द वेल नाम की फिल्म को बेस्ट फिल्म चुना गया. इसके डायरेक्टर उमेश विनायक कुलकर्णी को जर्मन स्टार ऑफ इंडिया अवॉर्ड मिला. विनायक को 4000 यूरो यानी करीब ढाई लाख रुपये दिए गए.

एनिमेशन फिल्मों की कैटेगरी में टांको बोले छे द स्टीचिस स्पीक बेस्ट फिल्म रही. श्टुटगार्ट में इस फेस्टिवल का यह सातवां साल है. इस बार फेस्टिवल में 50 से ज्यादा फिल्में दिखाई गईं.

अनंदना कपूर की द ग्रेट इंडियन जुगाड़ को लोगों ने काफी पंसद किया. यह फिल्म भारत में लोगों की उस मानसिकता पर आधारित है, जिसके जरिए हर काम को करने का जुगाड़ निकाल लिया जाता है. इस फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह भारतीय मुश्किल हालात में भी रास्ते खोज लेते हैं और जिंदगी को बेहतर बनाने की कोशिश करते हैं.

वैसे यह फिल्म भी जुगाड़ से ही बनी है. फिल्म में प्रोडक्शन और डिजाइन का काम अनंदना के दोस्तों और पुराने सहपाठियों ने ही संभाला. किसी ने भी इसके लिए पैसा नहीं लिया.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः ए जमाल