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‘द ऐंड’

२३ नवम्बर २०१२

रेडियो जर्मनी हिंदी सेवा से जो सिलसिला टूटा था उसे मैंने अब फेसबुक के जरिये आपसे फिर जोड़ लिया है लिखते हैं सचिन सेठी, उत्तम तिलक श्रोता संघ, करनाल हरियाणा से...

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FILE - In this Wednesday, Nov. 26, 2008 file photo, an armed Mohammed Ajmal Kasab, walks at the Chatrapathi Sivaji Terminal railway station in Mumbai, India. An Indian court convicted the Pakistani gunman Monday, May 2, 2010, for the 2008 Mumbai attacks. (AP Photo/Mumbai Mirror, Sebastian D'souza, File) ** FULL CREDIT MANDATORY, INDIA OUT **
तस्वीर: AP

कसाब की स्टोरी का ‘द ऐंड' हो ही गया. पिछले चार सालों से राष्ट्रीय-अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भूचाल मचाने वाले इस शख्स पर करोड़ों रुपये फूंके गए. 2008 में घटित दिन दहाड़े लाशों के ढेर बिछाने वाले इस आतंकवादी को कानूनी प्रक्रियाओं से गुजारते हुए अन्ततः फांसी के फंदे तक पहुंचाया गया. मुम्बई की आतंकवादी घटना के सारे सबूतों के बावजूद चार साल तक इसे लम्बा क्यों खींचा गया, जिसे जल्दी भी निपटाया जा सकता था. जेल में कसाब को दफनाया जाना भी समझ से परे है बाद में कभी भी इस विषय को लेकर खींचतान हो सकती है. बहरहाल इतना जरूर है कि कसाब को मिली फांसी से मुम्बई में शहीद हुए लोगों की आत्मा को जरूर शांति मिलेगी साथ ही उनके परिजनो को संतोष भी.
रवि श्रीवास्तव,इंटरनेशनल फ्रेंडस क्लब,इलाहाबाद

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26 नवम्बर 2008 को मुंबई में आतंक बरपाने वाले आतंकी कार्रवाई में शामिल पाक आतंकी अजमल कसाब को कोर्ट के फैसले के अनुरूप 21 नवम्बर को पुणे के यरवडा जेल में फंसी दे दी गयी. उसे यह सजा और पहले दे दी जानी चाहिए थी. 26/11 की घटना में 166 से अधिक लोग मरे गए थे और अनेक लोग जख्मी हो गए थे. उस आतंकी घटना को अंजाम देने वाले कुकर्मियों को फांसी दिए जाने से ऐसी विध्वंसक कार्रवाई में लिप्त रहने वाले लोगों को सबक मिलेगा. आतंकवाद एक विश्व व्यापी समस्या है. भारत को आतंकवाद के खिलाफ सुनियोजित अभियान चलाकर देश से इसका पूरी तरह सफाया कर देना चाहिए.
डॉ. हेमंत कुमार, प्रियदर्शिनी रेडियो लिस्नर्स क्लब, जिला भागलपुर, बिहार

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जब खेल से दिल पर बन आए नाक आलेख में आपने डॉ. उर्सुला हिल्डेब्रांट की जुबानी दिल की समस्या विशेष पर बताया. जानकारी बेहद रोचक है. यह वास्तव में एक अनूठी खोज ही कही जाएगी क्योंकि युवा खिलाड़ी भी दिल के मरीज बन रहे हैं पर आम धारणा यह है कि शारीरिक परिश्रम करने वालों को दिल का रोग नहीं सताता है....हां...दिल का `मामला' जरूर सता सकता है और शायद उस मामले में डॉ साहिबा भी कुछ नहीं कर पाएंगी पर उनकी जानकारी बेहद रोचक रही. आपकी पूरी टीम एवं डॉ साहिबा को साधुवाद.
उमेश कुमार यादव, लखनऊ, उत्तर प्रदेश

epa03034828 FC Barcelona David Villa is carried by a stretcher after injuring his leg during the first half of their FIFA Club World Cup semifinal match against Al-Sadd SC at Yokohama International Stadium in Yokohama, south of Tokyo, Japan, 15 December 2011. EPA/KIMIMASA MAYAMA
तस्वीर: picture-alliance/dpa

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This Oct. 27, 2010 photo shows the Dharavi slum in Mumbai, India. When U.S. President Barack Obama visits India Nov. 6, 2010, he will find a country of startlingly uneven development and perplexing disparities, where more people have cell phones than access to a toilet, according to the United Nations. (AP Photo/Rafiq Maqbool)
तस्वीर: AP

झुग्गी से यूनिवर्सिटी तक - आशा है की आप सभी ठीक होंगे.सबसे पहले आपको धन्यवाद दूंगा जो इतनी अच्छी शिक्षाप्रद जानकारी दी जिससे गरीब आदमी, गरीब बच्चों का मनोबल बडा ..आपने मंगाराय के कम्यूनिटी हाउस के बारे में जो जानकारी दी कि यहां की इमारत एक झुग्गी बस्ती में है, इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता के बीचों बीचमें है और अफसोस की चार और सात साल के लगभग 30 बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ते हैं. इसकी रिपोर्ट बेहद अच्छी लगी .... लेडी कहती हैं, "घरों में एक ही कमरा है जिसमें एक साथ छह लोग रहते हैं और वह भी बेहद बुरे हालात में." बिलकुल सही बात है मैंने खुद भारत की झुग्गी को देखा है मुझे एहसास है कि वो लोग कैसे रहते होंगें. कितने अफसोस की बात है कि आज भी इतनी संख्या में लोग अपना जीवन ऐसी स्थिति में बिताते हैं ....ये जानकर बड़ी खुशी हुई की ऑस्ट्रिया के योसेफ फुख्स को इनकी हालत काफी खराब लगी और उन्होंने 13 साल पहले अपने फ्रेंच मित्र के साथ आईएससीओ की स्थापना की और इसके माध्यम से करीब 2,500 बच्चों को स्कूल जाने का मौका मिला है.ये बहुत अच्छा काम है इसके लिए मैं उन्हें सैल्यूट करता हूं. मुझे यह जान कर बड़ी खुशी हुई कि संगठन अब 29 झुग्गियों में काम करता है,माशाल्लाह जकार्ता में ही नहीं, बल्कि सुराबाया और मैदान में भी लोगों की ज़िन्दगी को बेहतर बनाने में लगे हुए है

अमीर अहमद आज़मी, आवाम एक्सप्रेस, नई दिल्ली

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संकलनः विनोद चड्ढा

संपादनः आभा मोंढे