1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

दो दिन की माथापच्ची से बाद सिर्फ करार

८ दिसम्बर २०१०

ईरान के विवादास्पद परमाणु कार्यक्रम से उपजे गतिरोध को खत्म करने के लिए हुई जिनेवा बैठक समाप्त हुई. बैठक में एक तरफ ईरान तो दूसरी तरफ छह ताकतवर देशों के प्रतिनिधि रहे. नतीजे में एक करार से ज्यादा कुछ नहीं निकला.

https://p.dw.com/p/QSkF
तस्वीर: AP

करार के तहत तेहरान के परमाणु कार्यक्रम पर अगले महीने भी बैठक की जाएगी. लेकिन ईरान के प्रतिनिधियों ने इसके साथ भी एक शर्त जोड़ी है. उनका कहना है कि आगामी बातचीत में यूरेनियम संवर्धन रोकने को लेकर कोई चर्चा नहीं होनी चाहिए. अगर ऐसा हुआ तो तेहरान बातचीत नहीं करेगा. फिलहाल तय कार्यक्रम के मुताबिक यह बातचीत जनवरी में तुर्की में होगी.

वार्ता में ईरान, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई सदस्य देश (अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन और चीन) और जर्मनी शामिल हैं. यह छह देश चाहते हैं कि ईरान अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों से अपने परमाणु कार्यक्रम की निगरानी करवाए. पश्चिमी देशों को शक है कि ईरान परमाणु हथियार बना रहा है. ईरान इन आरोपों का खंडन करते हुए अपने परमाणु कार्यक्रम को शांतिपूर्ण बताता है.

Iran Natanz
ईरान का परमाणु संयंत्रतस्वीर: AP

इस मसले पर दोनों पक्षों के बीच खुले मतभेद हैं. जिनेवा में बातचीत के दौरान दोनों पक्षों के प्रतिनिधियों के बीच खूब नोंक झोंक भी हुई. यूरोपीय आयोग की विदेश मामलों की प्रभारी कैथरीन एश्टन ने जब कहा कि बातचीत का केंद्र परमाणु कार्यक्रम है, तो ईरान मध्यस्थकार सईद जलीली नाराज हो गए. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता पीजे क्राउली ने कहा, ''सोमवार और मंगलवार को हुई बातचीत का 75 फीसदी हिस्सा परमाणु कार्यक्रम से जुड़ा रहा. यह ऐसा मुद्दा है जो हमें चिंतिंत किए हुए है.''

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ईरान पर कई तरह के प्रतिबंध लगा चुका है. तेहरान इससे भड़का हुआ है. ईरानी प्रतिनिधियों ने फिर साफ किया है कि अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध हटाने के बाद ही अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों को एंट्री मिलेगी.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: आभा एम

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें