दो तिहाई अमेरिकी करते हैं यातना का समर्थन
३० मार्च २०१६रॉयटर्स और इप्सोस द्वारा कराए गए एक पोल के नतीजे सैन बैर्नार्दीनो में हुए कत्लेआम में 14 लोगों की मौत और हाल के महीनों में पेरिस और ब्रसेल्स जैसे यूरोपीय शहरों में हुए बड़े हमलों के बाद अमेरिकी जनता के मूड को दिखाते हैं. ब्रसेल्स में पिछले हफ्ते हवाई अड्डे और मेट्रो में हुए हमलों में 32 लोग मारे गए थे. 22 से 28 मार्च तक हुए ऑनलाइन सर्वे में 25 प्रतिशत लोगों ने संदिग्ध आतंकवादियों से आतंकी हमलों के बारे में सूचना पाने के लिए यातना को उचित ठहराया. 38 प्रतिशत ने इसे कभी कभी उचित ठहराया जबकि 15 प्रतिशत ने कहा कि यातना का किसी भी हाल में इस्तेमाल नहीं होना चाहिए.
डोनाल्ड ट्रंप का साथ
डोनाल्ड ट्रंप ने संदिग्ध आतंकवादियों को यातना देकर सूचना लेने के मुद्दे को राष्ट्रपति चुनाव अभियान का हिस्सा बनाया था. उन्होंने कहा है कि राष्ट्रपति बनने पर वे वाटरबोर्डिंग जैसे तरीकों पर प्रतिबंध लगाने के राष्ट्रपति ओबामा के फैसले को पलट देंगे. अमेरिकी खुफिया एजेंसियों द्वारा विकसित और 2001 के आतंकी हमलों के बाद अमल में लाई गई पूछताछ की इस तकनीक में पानी में डूबने की भावना पैदा की जाती है. अभियुक्त को लगता है कि वह डूब रहा है. मानवाधिकार संगठन इसे मानसिक यातना और जेनेवा संधि के तहत अवैध मानते हैं. ट्रंप ने इससे खराब तरीकों को भी वापस लाने का वादा किया है.
ट्रंप के रवैये का मानवाधिकार संगठनों के अलावा अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं और राजनीतिक विरोधी कड़ा विरोध कर रहे हैं. हालांकि इस सर्वे में लोगों से यह नहीं पूछा गया कि यातना का मतलब उनके लिए क्या है. आतंकवादी खतरे और जनमत के बीच संबंधों पर शोध करने वाली वांडरबिल्ट यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर एलिजाबेथ जेखमाइस्टर कहती हैं, "लोग इस समय बहुत सी नकारात्मक भावनाओं से जूझ रहे हैं. डर, गुस्सा और चिंता. ट्रंप इन भावनाओं को कुछ विश्वसनीयता दे रहे हैं."
आतंकवाद मुख्य चिंता
हाल के सालों में दूसरी एजेंसियों द्वारा कराए गए सर्वे में यातना के लिए अमेरिकी जनता में समर्थन का पैमाना 50 प्रतिशत रहा है. 2014 में मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने यातना और उत्पीड़न पर एक सर्वे कराया था जिसमें इसके लिए अमेरिकी समर्थन 45 प्रतिशत था जबकि नाइजीरिया में 64, केन्या में 66 और भारत में 74 प्रतिशत लोग यातना के समर्थन में थे. भारत दो दशक से ज्यादा से आतंकवाद का सामना कर रहा है. पंजाब और कश्मीर में अलगाववादी आंदोलनों के अलावा देश के कई हिस्सों में माओवादी सरकार के खिलाफ हथियारबंद संघर्ष चला रहे हैं. 90 के दशक से इसमें कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवाद भी जुड़ गया है. नाइजीरिया में सात साल से चल रहे कट्टरपंथी विद्रोह में 20 लाख लोग बेघर हो गए हैं और हजारों मारे गए हैं.
पेरिस में हुए हमले ने अमेरिका में भी लोगों की मानसिकता बदल दी. नवंबर में अर्थव्यवस्था के बदले आतंकवाद लोगों की मुख्य चिंता बन गई. इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा किए गए पेरिस हमलों में 130 लोग मारे गए थे. ट्रंप की एक समर्थक जोएन टीकेन कहती हैं, "हमारा सामना ऐसे लोगों से है जो नियम से नहीं चलते. मैं कोई वजह नहीं देखती कि हम अपने हाथ बांधे और वाटरबोर्डिंग जैसे विकल्पों का इस्तेमाल न करें."
एमजे/आईबी (रॉयटर्स)