देवयानी के खिलाफ आरोप वापस
१३ मार्च २०१४मैनहैट्टन जिला अदालत की जज शिरा शेंडलिन ने बुधवार को देवयानी के खिलाफ वीजा धोखाधड़ी का आरोप गिरा दिया. कानून के तकनीक पहलुओं की व्याख्या करते हुए जिला अदालत ने कहा, "भले ही गिरफ्तारी के वक्त खोबरागड़े के पास कोई राजनयिक विशेषाधिकार नहीं था, और बाद में भी अगर नहीं था तो भी सुनवाई की प्रतीक्षा के दौरान उन्हें मिले विशेषाधिकार की वजह से इसे निलंबित किया जाता है."
अपने 14 पेज के फैसले में अदालत ने इस तथ्य को स्वीकार किया कि आठ जनवरी की शाम 5 बजकर 47 मिनट पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय द्वारा देवयानी को भारत के यूएन मिशन का कांसुल जनरल मानते ही खोबरागड़े को पूरे राजनयिक विशेषाधिकार मिल चुके थे. अदालत ने कहा कि इस पर कोई विवाद नहीं हैं. इसी को आधार बनाकर अदालत ने देवयानी के खिलाफ वीजा धोखाधड़ी का आरोप गिराया.
अदालत के फैसले से देवयानी को फौरन राहत मिलेगी. जिला जज के मुताबिक, "खोबरागड़े की जमानत की शर्तें खारिज की जाती हैं उनके मुचलके को भी रद्द किया जाता है. यह आदेश है कि इन कारणों से जारी गिरफ्तारी का खुला वारंट रद्द किया जाना चाहिए."
भारत ने अमेरिकी अदालत के फैसले का स्वागत किया है. गुरुवार को भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरूद्दीन ने बताया कि भारत सरकार के वकील अब फैसले की गहन समीक्षा करेंगे.
भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े को 12 दिसंबर 2013 को न्यू यॉर्क में एक स्कूल के बाहर अमेरिकी अधिकारियों ने गिरफ्तार किया. देवयानी के मुताबिक अमेरिकी अधिकारियों ने कपड़े उतरवाकर उनकी तलाशी ली. वियना समझौते के मुताबिक राजयनिकों के पास विशेषाधिकार होते हैं. भारत ने आरोप लगाया कि अमेरिका ने वियना संधि का उल्लंघन किया. वहीं अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि गिरफ्तारी के वक्त देवयानी को राजनयिक विशेषाधिकार नहीं मिले थे.
अमेरिकी जांचकर्ताओं का आरोप था कि देवयानी ने भारत से महिला घरेलू सहायक को बुलाया. घरेलू सहायक के वीजा आवेदन में देवयानी ने तनख्वाह की गलत जानकारी भरी. घरेलू सहायक की शिकायत के आधार पर अभियोजन पक्ष ने कहा कि खोबरागड़े सहायक से हफ्ते में 100 घंटे काम कराती थीं, छुट्टी भी नहीं देती थीं और उनका वेतन सिर्फ 1.22 डॉलर प्रतिघंटा था. वीजा आवेदन में सहायक की तनख्वाह कहीं ज्यादा बताई गई थी.
ओएसजे/एएम (एएफपी, पीटीआई)