दूर दूर तक कूड़ा ही कूड़ा
फिलिपींस का नाम आते ही मन में खूबसूरत बीच और नीले आसमान का चित्र उभरता है. लेकिन इस खूबसूरत द्वीप की एक सच्चाई यह भी है..
रेत की जगह कूड़ा
यह दृश्य है मनीला की खाड़ी पर कृत्रिम रूप से बनाए गए फ्रीडम आयलैंड का. इसे खास पर्यटकों को ध्यान में रख कर बनाया गया था. लेकिन जहां सुनहरी रेत की चादर होनी चाहिए, वहां आज प्लास्टिक की बोतलें और कूड़ा बिखरा है.
अब बहुत हुआ
तट की हालत देखते हुए ग्रीनपीस ने मामले को अपने हाथ में लेने का फैसला किया. इसमें अंतरराष्ट्रीय आंदोलन "ब्रेक फ्री फ्रॉम प्लास्टिक" भी उनका साथ दे रहा है.
कड़ी मेहनत
बीच की साफ सफाई में लगे लोग स्वयंसेवी हैं. ग्रीनपीस के अनुसार उन्हें इस काम में कुल 10,000 घंटे का समय लगेगा. कूड़े में प्लास्टिक की बोतलों के अलावा थैले, चप्पल और रैपर जैसी चीजें शामिल है.
कहां कहां से आया?
वॉलंटियर केवल कूड़ा उठाने में ही नहीं लगे हैं, बल्कि उसकी छंटाई भी कर रहे हैं. वे जानना चाहते हैं कि द्वीप पर किस किस तरह का कूड़ा है और वह कहां कहां से आया है.
और यह है नतीजा
ग्रीनपीस ने पाया कि बीच पर सबसे अधिक मात्रा में नेस्ले, यूनिलीवर और इंडोनेशियाई कंपनी तोराबीका मायोरा के बनाए उत्पादों का कूड़ा मौजूद है. अकेले नेस्ले के ही 9,000 से अधिक पैकेट यहां मिले हैं.
इस्तेमाल करो और फेंको
शैंपू की बोतले हों या फिर नूडल्स के कप, बाजार ने ग्राहकों को कुछ इस तरह से नियंत्रित कर लिया है कि वे इस्तेमाल करो और फेंको के सिद्धांत पर ही चलते हैं.
कैसा होगा भविष्य?
अगर इसी तरह आगे भी होता रहा, तो एक एक कर दुनिया भर में इसी तरह प्लास्टिक का कूड़ा फैल जाएगा जिसे समेटना असंभव होगा. ऐसे में कंपनियों को अब प्लास्टिक को रिसाइकल करने के बारे में सोचना होगा.
सबसे गंदा
एक सर्वे के मुताबिक फिलीपींस समुद्र को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाने वाले दुनिया के तीन देशों में से एक है. बाकी दो हैं चीन और इंडोनेशिया.
सोच बदलो
ग्रीनपीस ने कुछ इलाकों को साफ तो कर दिया है लेकिन उन्हें डर है कि कुछ वक्त में एक बार फिर उतना ही कूड़ा जमा हो जाएगा. क्या किसी तरह लोगों की सोच को बदला नहीं जा सकता?