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जर्मनी में 'फेक न्यूज' का हमला

६ जनवरी २०१७

नए साल की पूर्व संध्या पर एक जर्मन चर्च पर हजारों लोगों के हमला करने और आग लगाने की खबर जंगल की आग की तरह फैली. लेकिन यह खबर झूठी थी और संभवत: आप्रवासियों के प्रति दुर्भावना फैलाने के मकसद से फैलाई गई थी.

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Screenshot Breitbart.com Fake News
तस्वीर: Breitbart.com/Screenshot

जर्मनी के शहर डॉर्टमुंड में पुलिस ने इस बात का खंडन किया है कि किसी चर्च पर आप्रवासियों ने हमला करने की कोशिश की. जर्मनी के बाहर की कई वेबसाइटों पर पिछले दिनों में ऐसी खबर दी गई कि हजारों आप्रवासियों की "भीड़" ने पुलिस पर हमला किया और चर्च को आग लगा दी. ऐसी कई रिपोर्टों में इलाके के दैनिक रुअर नाखरिष्टन के ट्वीट्स को अपना स्रोत बताया गया है, जबकि इस दैनिक ने ऐसे ट्वीट्स करने से इनकार किया है.

डॉर्टमुंड पुलिस की प्रवक्ता नीना फोग्ट ने बताया कि सिटी सेंटर में करीब एक हजार लोग नए साल का जश्न मनाने इकट्ठा हुए थे. इसी दौरान वहां कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए ड्यूटी पर तैनात कुछ पुलिसकर्मी पटाखे से जख्मी हो गए थे, लेकिन किसी पर हमला नहीं हुआ था. चर्च के पास ही एक मचान पर रखे जाल ने किसी पटाखे से आग पकड़ ली. प्रवक्ता ने बताया कि वह एक छोटी सी आग थी जिसे जल्दी ही बुझा लिया गया.

पुलिस विभाग का मानना है कि "जानबूझकर वहां आग लगाए जाने के कोई संकेत नहीं हैं." कई अंग्रेजी वेबसाइटों पर छपी खबर में इस चर्च को जर्मनी का सबसे पुराना चर्च बताया गया, जो सच नहीं है.

नए साल के मौके पर शहर में हिंसा की खबर या हुड़दंगियों की गिरफ्तारी कई दूसरे शहरों की ही तरह डॉर्टमुंड के लिए भी आम बात है. पुलिस प्रवक्ता के अनुसार छह लाख की आबादी वाले इस शहर में "नए साल की शाम को शांत कहा जा सकता है."

ऐसी झूठी खबरें फैलाने के पीछे डॉर्टमुंड की एक अतिदक्षिणपंथी वेबसाइट की साजिश मानी जा रही है. यह वेबसाइट नवनाजियों का समर्थन करने के लिए जानी जाती है. आप्रवासियों या शरणार्थियों से जुड़ी फर्जी खबरों का कारोबार जर्मनी में काफी फैलता जा रहा है. शरणार्थियों की समस्या जर्मनी के लिए एक बहुत विवादास्पद राजनीतिक मुद्दा बन चुका है, जिसका असर इस साल होने वाले राष्ट्रीय चुनाव में भी दिख सकता है. जर्मन सरकार ने सोशल मीडिया साइटों को निर्देश दिया है कि वे झूठी खबरों को फैलने से रोकने के लिए और पुख्ता प्रबंध करें.

एक अन्य घटना में जर्मनी के अपर बवेरिया इलाके की पुलिस ने फेसबुक पर फैलाई गए एक झूठी खबर पर अलग तरह से कार्रवाई की. फेसबुक पोस्ट में फर्जी खबर डाली गई थी कि एक शरणार्थी ने किसी का बलात्कार किया है. इस फेक न्यूज का खंडन करने की बजाए पुलिस ने इसकी बाकायदा जांच शुरू कर दी. वे पता लगा रहे हैं कि क्या ऐसे पोस्ट डालना अपराध की श्रेणी में नहीं आता है और क्या ऐसे झूठ फैलाने वालों को पुलिस का समय बर्बाद करने का दोषी नहीं ठहराया जा सकता.

जर्मनी के न्याय मंत्री हाइको मास ने पहले भी फेक न्यूज को अपराध की श्रेणी में रखने की बात कही है. जर्मन कानून के अंतर्गत, फेक न्यूज फैलाने पर दोषी को पांच साल तक की जेल हो सकती है. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने भी कुछ समय पहले संसद में दिए अपने भाषण में कहा था कि ऑनलाइन सूचनाओं और हेट स्पीच को फैलने से रोकने के लिए नए तरीके निकालने की जरूरत है.

आरपी/एके (एपी, डीपीए)