दुनिया भर की 12 टैक्सियां
टैक्सी - शायद इससे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय शब्द कोई नहीं. लगभग हर देश और हर जुबान में टैक्सी को टैक्सी ही कहते हैं. आप किसी भी देश में जाएं, वहां पहुंचने के बाद सबसे पहली सवारी टैक्सी होती है.
क्रांतिकारी पीला
न्यू यॉर्क की यह टैक्सी दुनिया की सबसे खास है क्योंकि यहीं से पीले रंग की टैक्सी की परंपरा शुरू हुई. हालांकि 1980 के दशक में चेकर्स कैब की यह टैक्सी बनना बंद हो गई. 1999 में ऐसी आखिरी टैक्सी की नीलामी एक लाख 34 हजार डॉलर में हुई.
गुलाबी सी टैक्सी
अगर इस रंग की टैक्सी में सफर करना है, तो मेक्सिको जाना होगा. वहां मेक्सिको सिटी और पुएबला में महिलाएं गुलाबी टैक्सी चलाती हैं. इनमें सिर्फ महिलाएं या बच्चे सफर कर सकते हैं. इनमें तीज चीजें जरूर होती हैं - जीपीएस, इमरजेंसी और कॉस्मेटिक किट.
क्यूबा में अमेरिका
यूं तो इन दोनों देशों के रिश्ते जगजाहिर हैं. लेकिन क्यूबा की राजधानी में जहां कहीं भी विंटेज शेवरोले टैक्सी दिखती है, उसे बड़े सम्मान से देखा जाता है. ये टैक्सियां बहुत पुरानी हैं क्योंकि बाद में क्यूबा ने बाहर से कारों के आयात पर रोक लगा दी थी.
पानी की टैक्सी
करीब 14 किलोमीटर लंबा दुबई का सोता शहर को दो हिस्सों में बांटता है. चूंकि यहां बहुत पुल नहीं हैं, लिहाजा लोगों को पानी की टैक्सी से एक दूसरे तरफ जाना पड़ता है. सिर्फ लकड़ी के छोटे नाव यहां चलते हैं, जिनमें 20 लोग सवार हो पाते हैं. एक तरफ का किराया 22 यूरोसेंट. यह इसे दुनिया की सबसे सस्ती टैक्सी बनाता है.
पूरी सवारी
डीआर कांगो की राजधानी किनशासा में अधिकतम सवारियों की कोई सीमा नहीं है. अगर टैक्सी बोझ ढोने में सक्षम है, तो जितनी मर्जी सवारी लादो. इस तरह के नजारे देख कर एशिया के कुछ देश भी जेहन में आते हैं, जहां ऑटोरिक्शा पर बेतहाशा सवारियों को लाद लिया जाता है.
मानव मशीन
रिक्शा की आविष्कार जापान में हुआ और बाद में एशिया के दूसरे देशों में भी यह प्रचलित हुआ. इन दिनों यह दुनिया भर में नजर आता है और कई जगहों पर तो इसमें मोटर फिट कर दिए जाते हैं. लेकिन कोलकाता के रिक्शों पर पाबंदी लगाई गई है, जहां लोगों को खुद दूसरों को खींचना पड़ता था.
कंबोडिया की टैक्सी
यहां सवारी के कई साधन हैं - रिक्शा से लेकर मोटरसाइकिल टैक्सी और मिनी बस तक. यहां जो पिकअप बस दिख रही है, वह सबसे सस्ते साधनों में है. इसके पीछे काफी जगह होती है. लेकिन हो सकता है कि मुसाफिरों को कोई जानवर सहयात्री के तौर पर मिल जाए.
चीन की टैक्सी
बड़े बड़े चीनी शहरों में सबसे अच्छा साधन टैक्सी ही है. सिर्फ राजधानी बीजिंग में 66,000 टैक्सियां हैं. लेकिन एक बात का ख्याल रखना होता है कि इनके ड्राइवरों को इंग्लिश नहीं आती. बेहतर है कि आप अपनी मंजिल का नाम चीनी भाषा में लिख लें और वह कागज ड्राइवर को पहुंचा दें.
बदलेगा लंदन
अगर लंदन के नाम से मेट्रो ट्यूब और काली टैक्सी याद आती है, तो इसे बदलने की तैयारी कर लीजिए. लंदन के मेयर को लगता है कि टैक्सियां मुसाफिरों का बोझ नहीं उठा सकतीं और इसके बदले सिर्फ पर्यावरण के अनुरूप विकल्प उतारे जाएंगे.
बर्लिन के ड्राइवर
जर्मन राजधानी में 7600 टैक्सियां हैं. इस तस्वीर की तरह बर्लिन के दूसरे हिस्सों में भी टैक्सी भारी संख्या में मिल जाते हैं. इनके ड्राइवर पूरे देश के सबसे अच्छे ड्राइवर माने जाते हैं. लेकिन उनकी बोली जरा क्षेत्रीय पुट के साथ होती है. कई बार तो जर्मन जानने वाले भी चकरा जाते हैं.
सैलानियों की टैक्सी
अगर पानी के शहर वेनिस जाएं, तो एक बार वहां के गोंडोला में जरूर चढ़ें. इसे सैलानियों की टैक्सी कहते हैं. 40 मिनट का किराया 80 यूरो - करीब 6,500 रुपये.