दीमक बनाएंगे बाड़
१४ फ़रवरी २०१४ये यांत्रिक जीव बड़ी बड़ी ईंटें उठा कर एक जगह से दूसरी जगह ले जा सकते हैं, सीढ़ियां बना सकते हैं और पिरामिड भी. हार्वर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का दावा है कि ये दीमक रोबोट बड़े काम कर सकता है. अमेरिकन एसोसिएशन फॉर दि एडवांसमेट ऑफ साइंस की सालाना बैठक में वैज्ञानिकों ने बताया कि 'टर्मिस' नाम के इन खास रोबोटों को बहुत कम निर्देशों की जरूरत होती है. टर्मिस को इस तरह से प्रोग्राम किया गया है कि किसी बाहरी निरीक्षक को इन्हें ये नियंत्रित नहीं करना पड़ता. शोधकर्ता बताते हैं कि टर्मिस को जिस कॉन्सेप्ट पर बनाया गया है कि उसे स्टिगमर्जी कहते हैं. यह एक तरह की अंदरूनी व्यवस्था होती है. इसमें अगर बाहरी वातावरण में कोई बदलाव आए तो उससे एक एक कर सभी मशीनें खुद ही हरकत में आ जाती है.
हार्वर्ड विश्वविद्यालय में इस शोध से जुड़े रिसर्चर जस्टिन वेर्फल के साथ चार सालों तक चले इस प्रोजेक्ट पर हार्वर्ड की एक ग्रेजुएट छात्रा किर्सटिन पीटरसन ने काम किया है. दोनों रिसर्चरों को उम्मीद है कि भविष्य में टर्मिस उन जगहों पर जाकर जरूरत की चीजें बना पाएगा, जहां आमतौर पर इंसानों के लिए काम करना संभव नहीं होता. जैसे कि मंगल ग्रह पर जाकर इंसानों के रहने के लिए बस्तियां बनाना या फिर बाढ़ आने के पहले बाढ़ का संकट झेल रही जगहों पर बालू के बोरे बिछाना. पीटरसन बताती हैं, "हमने मिलकर ऐसे रोबोट और ईंटें डिजाइन की हैं जिससे सिस्टम काफी आसान और भरोसेमंद बन सकता है."
रिसर्चर वेर्फेल बताते हैं, "यह ऐसा कि आप इन रोबोटों को केवल उस चीज का एक चित्र दिखा दें जो आप उनसे बनवाना चाहते हैं." हार्वर्ड के वाइस इंस्टीट्यूट फॉर बायोलॉजिकली इंस्पायर्ड इंजीनियरिंग में वैज्ञानिक वेर्फेल आगे कहते हैं, "इस बात से भी कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप के पास कितने रोबोट हैं या उनकी संख्या बदलती है या फिर कौन सा रोबोट क्या और कब करता है." अंत में ये रोबोट वो चीज बना के रख देते हैं जो आपने उनसे चाही थी.
हर टर्मिस में तीन मोटर लगी होती हैं. हर रोबोट को अपने संपर्क में आने वाले सभी रोबोटों के बारे में सूचना मिलती रहती है. इस तरह अपने पास वाले टर्मिस में हो रही हरकत को समझ कर हर रोबोट काम में लग जाता है. इस तरह हर एक रोबोट जिस काम में जुटा होता है उसे इस बात की जानकारी नहीं होती कि अंत में क्या बनने वाला है. इस तरह सभी रोबोट टीमें समानांतर तरीके से काम में लगी होती हैं.
यह प्रोजेक्ट अपनी तरह का कोई अनोखा प्रयास नहीं है. इससे पहले कई सालों से ऐसे रोबोटों पर काम चल रहा है. लेकिन टर्मिस की खास बात यह है कि वह बहुत खूबी के साथ दीमक की कार्यपद्धति की नकल करता है. जिस तरह दीमक अपने से 500 गुना बड़े भारी भारी टीले बनाते हैं वैसी ही क्षमता इन टर्मिस रोबोट में भी है. साइंस जरनल में ही प्रकाशित संपादकीय में फ्राइबर्ग विश्वविद्यालय के प्रोफेसर यूडिथ कॉर्ब कहती हैं, "यह तंत्र बेहद सहज है क्योंकि इसमें साधारण रोबोट अपने आप ही आपकी बताई गई कोई चीज बना देते हैं."
आरआर/एएम (एएफपी)