दिल वालों की नहीं, अपराधियों की दिल्ली
९ अगस्त २०१०तेजी से आर्थिक विकास करते भारत की राजधानी में महिलाओं से यौन बदसलूकी के मामले बढ़े हैं. जनवरी से जून तक दिल्ली में बलात्कार के 277 मामले दर्ज हुए. बीते साल की पहली छमाही में बलात्कार के 237 मामले सामने आए थे. यानी इस साल अब तक बलात्कार के कम से कम 40 और मामले सामने आए हैं और 17 फीसदी की वृद्धि हुई है. हाल ही में कराए गए एक सरकारी सर्वेक्षण में ज्यादातर महिलाओं ने माना था कि दिल्ली में वह सुरक्षित महसूस नहीं करती हैं. ये आकंड़े भी कुछ ऐसी तस्वीर पेश करते हैं.
हत्याओं के बढ़े मामलों से भी दिल्ली की डरावनी छवि सामने आती है. पुलिस के मुताबिक इस साल की पहली छमाही में दिल्ली में हत्या के 274 मामले दर्ज हुए. जबकि बीते साल यह संख्या 254 थी.
दिल्ली पुलिस में बीते तीन साल में 22,160 नए पुलिसकर्मी भर्ती हुए, जिन्हें मिलाकर पुलिस फोर्स की तादाद करीब 80,000 है. लेकिन इससे अपराधों पर नियंत्रण होता नहीं दिख रहा है. दिल्ली में अक्टूबर से कॉमनवेल्थ खेल भी होने हैं.
वैसे मनोचिकित्सक और समाजशास्त्री बढ़ते अपराधों के लिए पुलिस से ज्यादा अन्य कारणों को जिम्मेदार ठहराते हैं. दिल्ली में अमीर और गरीब के बीच की खाई तेजी से बढ़ी है. पैसा और रौब दिखाने का रिवाज अब दिल्ली का स्टाइल बन गया है. उत्तर भारत में लिंगानुपात पूरी तरह लड़खड़ा चुका है. लगातार मची होड़ ने दिल्ली वालों से सकून छीन लिया है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ ओ सिंह
संपादन: महेश झा