दिल्ली में नए हवाई टर्मिनल का उद्घाटन
४ जुलाई २०१०टर्मिनल बनाने में कुल 2.6 अरब डॉलर यानी लगभग 120 अरब रुपए लगे हैं. इसे बनाने में कुल 37 महीने लगे और अक्तूबर में कॉमनवेल्थ खेलों को देखते हुए इसका निर्माण लगभग पूरी तरह खत्म कर दिया गया है.
नए टर्मिनल तीन यानी टी-3 में 78 एरोब्रिज होंगे और इसके रनवे की लंबाई 1.2 किलोमीटर है. विश्व में यह छटा सबसे बड़ा टर्मिनल है. शुरुआत में नए टर्मिनल से सालाना लगभग साढ़े तीन करोड़ यात्रियों को संभाला जा सकेगा. पूरा टर्मिनल चार किलोमीटर तक फैला हुआ है. टी-3 का 80 प्रतिशत हिस्सा शीशे का बना हुआ है और इसे धातु के ढांचे से सहारा दिया गया है. इसमें नौ मंजिले हैं और दिल्ली आ रहे लगभग 90 प्रतिशत हवाई यात्रियों को यहीं से लाया और ले जाया जाएगा. यात्री सुविधाओं के लिए यह टर्मिनल भारत में नए मापदंड तय कर रहा है. यात्रियों के लिए बैठने की जगह और नहाने की सुविधा भी बनाई गई है. रेस्तरां, बार और कैफे के लिए भी खास जगह बनाई गई है.
दिल्ली अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट लिमिटेड चार कंपनियों का एक समूह है जिसका नेतृत्व बंगलूरु की कंपनी जीएमआर के हाथों में है. जीएमआर का इसमें 54 प्रतिशत हिस्सा है जबकि भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया का इसमें 26 प्रतिशत हिस्सा है. जर्मनी के फ्रापोर्ट और मलेशिया एयरपोर्ट, दोनों की इसमें 10 प्रतिशत हिस्सेदारी है.
मनमोहन सिंह ने उद्घाटन समारोह के दौरान कहा कि एक अच्छा हवाई अड्डा एक नए भारत की ओर संकेत करता है जो विकसित देशों के स्तर तक पहुंचना चाहता है. उन्होंने कहा कि भारत में सारे हवाई अड्डों में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखा जाना चाहिए.
सिंह ने कहा कि देश में व्यावसायिक उड़ान उद्योग में 2020 तक लगभग 120 अरब डॉलर निवेश करने की क्षमता है. हर साल देश के अंदर 16 से लेकर 18 करोड़ यात्री और पांच करोड़ अंतरराष्ट्रीय यात्री सफर कर सकेंगे.
रिपोर्टः एजेंसियां/एम गोपालकृष्णन
संपादनः महेश झा