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दिल्ली में ऐतिहासिक चुनाव

४ दिसम्बर २०१३

बीस साल की विधानसभा परंपरा के बाद भारत की राजधानी दिल्ली में ऐतिहासिक चुनाव हो रहे हैं. कांग्रेस और बीजेपी के बीच सत्ता संघर्ष देखने वाले शहर में इस बार तीसरे दल आम आदमी पार्टी का भी अच्छा खासा दखल दिख रहा है.

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तस्वीर: Reuters

भ्रष्टाचार को मुद्दा बना कर मैदान में उतरी अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) ने दावा किया है कि दिल्ली के लोग इस बार बदलाव चाहते हैं और वे कांग्रेस और बीजेपी से इतर किसी पार्टी को वोट देना चाहते हैं. उनका कहना है कि ईमानदारी के पैमाने पर उनकी आप पार्टी खरी उतरती है.

दिल्ली में 1993 में हुए विधानसभा चुनाव में मदनलाल खुराना के नेतृत्व में बीजेपी को भारी कामयाबी मिली. लेकिन इसके बाद के तीन चुनावों में कांग्रेस की शीला दीक्षित ने अभूतपूर्व सफलता हासिल की है. वह भारत में लगातार तीन बार मुख्यमंत्री बनने वाली गिनी चुनी नेताओं में शामिल हो गई हैं. उनकी चौथी जीत का मतलब दिल्ली के लोगों का कांग्रेस को समर्थन माना जाएगा और इस हिसाब से अगले साल होने वाले आम चुनावों में कांग्रेस की ताकत बढ़ सकती है.

Indien Wahlen in Delhi Sheila Dikshit
वोट देकर निकलीं शीला दीक्षिततस्वीर: Reuters

दूसरी तरफ नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी का दावा है कि महंगाई और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उनकी पार्टी को समर्थन हासिल है. हालांकि दिल्ली में खुद बीजेपी के अंदर दरार है. लंबे वक्त तक विजय गोयल का नाम मुख्यमंत्री के दावेदार के तौर पर चलता रहा, लेकिन आखिरी वक्त में पार्टी आलाकमान ने यह चुनाव डॉक्टर हर्षवर्धन के नेतृत्व में लड़ने का फैसला किया. दिल्ली में बीजेपी की जीत का सीधा फायदा पार्टी के प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी को हो सकता है, जो इन दिनों जम कर चुनावी रैलियां कर रहे हैं.

इन सबके बीच सबकी नजरें अरविंद केजरीवाल और उनकी आप पार्टी पर लगी हैं. दो साल पहले अन्ना हजारे के आंदोलन के बाद चर्चा में आए केजरीवाल ने सिर्फ एक साल पहले राजनीतिक पार्टी बनाई है, लेकिन इसी दौरान उन्होंने लोगों का अच्छा खासा समर्थन हासिल कर लिया है. केजरीवाल का दावा है कि दिल्ली के लोगों के पास "पहली बार कांग्रेस और बीजेपी के अलावा कोई विकल्प नजर आ रहा है" और इस बुनियाद पर उनकी पार्टी को वोट जरूर मिलेगा.

Indien Bharatiya Janta Party
बीजेपी ने किया जीत का दावातस्वीर: Dibyanshu/AFP/Getty Images

अन्ना आंदोलन के दौरान केजरीवाल ने बार बार कहा था कि वह राजनीति में कदम नहीं रखना चाहते हैं. बाद में उन्होंने अपना स्टैंड बदलते हुए कहा कि "इस कीचड़ को साफ करने के लिए इसके अंदर ही उतरना होगा." हालांकि अन्ना और केजरीवाल के बीच के संबंध भी अब पहले जैसे नहीं रह गए हैं लेकिन केजरीवाल का दावा है कि "बात सिर्फ इतनी है कि अन्ना राजनीति में नहीं आना चाहते".

दिल्ली के अलावा मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मिजोरम राज्यों में भी विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. सिलसिलेवार चुनावों का आखिरी पड़ाव दिल्ली है और सभी राज्यों के नतीजे आठ दिसंबर को सामने आ जाएंगे.

एजेए/एनआर (पीटीआई, एएफपी)

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