दहशत में जी रहे हैं बांग्लादेश के हिंदू
बांग्लादेश में पिछले दिनों फेसबुक पर कथित तौर पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली एक पोस्ट के बाद हिंदुओं के घरों और मंदिरों पर हमले किए गए. देखिए हमले का शिकार बने लोग अब किस हाल में रहे हैं.
फेसबुक पोस्ट पर बवाल
28 अक्टूबर को फेसबुक पर एक तस्वीर पोस्ट की गई जिसे इस्लाम के लिए अपमानजनक बताया गया. ये तस्वीर रसराज दास नाम के व्यक्ति के अकाउंट से पोस्ट की गई. हालांकि उसका कहना है कि उसके अकाउंट को हैक कर लिया गया था.
तोड़फोड़ और तबाही
रसराज दास को गिरफ्तार किया गया. लेकिन ब्राह्मणबड़िया शहर के नसीरनगर और हबीबगंज जैसे इलाके में हिंसा होने से नहीं रोकी जा सकी. वहां हिंदुओं के घर और मंदिरों को निशाना बनाया गया.
दोष किसका?
स्थानीय लोगों का कहना है कि रसराज कक्षा चार या पांच तक ही पढ़े हैं. इसलिए ये संभव ही नहीं है कि वो फोटोशॉप सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके ये विवादित तस्वीर तैयार करते. फिर भी रसराज ने इस मुद्दे पर माफी मांगी है.
अकाउंट हैक
हिंसा के बाद नसीरनगर का दौरा करने वाले एक पूर्व जज ने भी यही कहा है कि रसराज फोटोशॉप इस्तेमाल नहीं कर सकते. ऐसे में उनका अकाउंट हैक करके किसी साइबर कैफे ये फोटो पोस्ट की गई है. सरकार के एक मंत्री और गैर सरकारी संगठन ने भी यही बात कही है.
“पुलिस ने कुछ नहीं किया”
नसीरनगर के लोगों का कहना है कि जब दंगाई उनके घरों और मंदिरों में तोड़फोड़ कर रहे थे तो पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए कुछ नहीं किया.
डर के साए में
नसीरनगर में रहने वाले हिंदुओं का कहना है कि वे अब भी डर में जिंदगी गुजार रहे हैं.
हिंसा
तीन नवंबर को नसीरनगर में फिर से हमला हुआ और हिंदुओं की संपत्ति को काफी नुकसान पहुंचाया गया. इसके अलावा गोपालगंज, रंगपुर, बरिशाल और ठाकुरगांव जैसी कई जगहों पर भी हिंदुओं पर हमले हुए.
कंट्टरपंथियों के इशारे पर?
फेसबुक पर विवादित पोस्ट के बाद हिफाजत ए इस्लाम और अहले सुन्नत वाल जमात नाम के दो कट्टरपंथी गुटों ने सभा की थी और उसके बाद ही हिंदुओं पर हमले हुए.
मरम्मत
हिंसा का शिकार बने लोगों ने अपने घरों की मरम्मत का काम शुरू कर दिया है. आखिर घर नहीं होगा तो रहेंगे कहां?
लोगों की शिकायत
स्थानीय प्रशासन का कहना है कि पीड़ित परिवारों को मरम्मत के लिए छह हजार टका और टीन दिया गया है. लेकिन पीड़ितों की शिकायत है कि जितना नुकसान हुआ है, उसे देखते हुए मदद बहुत कम है. कई लोगों को ये मदद भी नहीं मिली है.
सियासी कनेक्शन?
बांग्लादेश में सत्ताधारी आवामी लीग ने अपने तीन स्थानीय नेताओं को अस्थायी तौर पर पार्टी से निकाल दिया है. एक जांच समिति को यह पता करने का काम सौंपा गया है कि हिंसा में उनका हाथ या था नहीं.
मंदिर की हालत
तोड़फोड का शिकार बना एक मंदिर और उसके पुजारी. मंदिर की मरम्मत तो शायद हो जाएगी, लेकिन बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर जो खतरे हाल के बरसों में पैदा हुए हैं, उनसे निपटना चुनौतीपूर्ण है. हाल में समय में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमलों के मामले बढ़े हैं.