दस लाख पक्षियों को रोजाना सफाया कर रहीं हैं बिल्लियां
४ अक्टूबर २०१७साइंस पत्रिका बॉयोलाजिकल कंजर्वेशन में छपे एक शोध मुताबिक, जंगली बिल्लियां हर साल 31.6 करोड़ तो आवारा बिल्लियां सालाना 6.1 करोड़ शिकार करतीं हैं. चार्ल्स डार्विन विश्वविद्यालय के प्रमुख शोधकर्ता जॉन वॉयनेर्सकी के मुताबिक, "हर कोई जानता है कि बिल्लियां पक्षियों का शिकार करतीं हैं लेकिन ऑस्ट्रेलिया में बिल्लियों की इन पक्षियों को मारने की दर चौंका देने वाली है." उन्होंने कहा, "जिस तेजी से बिल्लियां यहां के पक्षियों का सफाया कर रहीं हैं वह कई प्रजातियों को लुप्त होने की कगार पर ले जा सकता है." यह शोध परिणाम देश भर में तकरीबन 100 स्टडीज से प्राप्त नतीजों के बाद तैयार किया गया है. बिल्ली में खान-पान की बदलती आदतों को जानने के लिए देश में 100 से भी अधिक अध्ययन किये गये. वॉयनेसर्की ने बताया, "पिछले रिसर्च में बिल्ली के आम स्तनधारी जानवरों पर पड़ने वाले प्रभावों को देखा गया था लेकिन पक्षियों से जुड़ा यह पहला आकलन है."
बिल्लियां ये सफाया सबसे अधिक ऑस्ट्रेलिया के दूरदराज इलाके वाले शुष्क क्षेत्रों में करतीं हैं. स्टडी के मुताबिक यहां मारे गये पक्षियों का आंकड़ा 330 प्रति वर्ग किलोमीटर तक पहुंच सकता है. शोध के मुताबिक न केवल जंगली बिल्लियां बल्कि यहां की पालतू और आवारा बिल्लियां भी स्तनपायी जीवों की विलुप्ति का एक बड़ा कारण हैं. शोधकर्ताओं ने पाया कि बिल्लियों ने 338 प्रकार के पक्षियों को अब तक निशाना बनाया है. इनमें से आधी से अधिक ऑस्ट्रेलिया की मूल प्रजातियां हैं और जिनमें से करीबन 71 प्रजातियों पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है जिनमें यहां पाये जाने वाले कबूतर और तोते की एक प्रजाति शामिल हैं.
स्टडी के मुताबिक बिल्लियां, मध्यम आकार वाले पक्षी, जमीन पर घोंसला बना कर रहने वाले पक्षी, घास के मैदानों और झाड़ियों में रहने वाले पक्षियों को ज्यादा निशाना बनाती हैं. शोध में चेतावनी देते हुए कहा गया है कि ऑस्ट्रेलिया में बिल्लियों का बढ़ता आतंक पक्षियों के जीवन के लिए बड़ा खतरा बन गया है जिसके लिए प्रभावी तरीके अपनाने होंगे. ऑस्ट्रेलियाई प्रशासन ने इसे बेहद ही अहम रिपोर्ट बताते हुए इस पर चिंता व्यक्त की है साथ ही इसके तहत संकट में घिरी प्रजातियों के लिए बनाई जाने वाली रणनीति पर बल दिया है. देश में बिल्लियों के आतंक से बचने के लिए एक "कैट फ्री जोन" भी तैयार की जा रही है.
एए/एनआर (एएफपी)