दर्द और शोषण की दास्तान
21वीं सदी में भी भारत के कारखानों में काम करने वाले मजदूरों के सपनों और हकीकत की दीवार से उनके टूट जाने की कहानी है मशीन्स.
दुख भरी दास्तान
जहां काम दुर्लभ हो वहां रोजी रोटी कमाने के लिए लोग कुछ भी करने को तैयार होते हैं.
अमानवीय परिस्थितियां
बहुत से कारखानों में अभी भी सस्ते उत्पादन के लिए अमानवीय परिस्थितियों में काम लिया जाता है.
पुरानी मशीनें
बहुत से कारखानों का आधुनिकीकरण नहीं हुआ है और मजदूरों को मुश्किल परिस्थितियों में काम करना पड़ता है.
निवेश जरूरी
ना सिर्फ मशीनों में बल्कि मजदूरों के प्रशिक्षण में भी निवेश जरूरी है ताकि काम और जीवन के हालात सुधर सकें.
स्वस्थ जिंदगी
स्वस्थ जिंदगी जीने के लिए अच्छा काम और पर्याप्त आय जरूरी है ताकि मजदूरी सामान्य जिंदगी जी सकें.
राना प्लाजा दुर्घटना
बांग्लादेश में राना प्लाजा दुर्घटना में सैकड़ों मजदूरों की मौत के बाद राहुल जैन ने ये फिल्म बनाने की सोची.
सस्ते सुपर चेन
यूरोप में कई चेन हैं जो मजदूरों के शोषण की वजह से बनने वाले सस्ते माल बेचकर कमाती हैं.
14 यूरो का माल 5 यूरो में
जब कपड़े सेल पर बेचे जाते हैं तो दुकानों में सस्ता खरीदने वालों की कतारें लग जाती हैं.
फैशन में नैतिकता
बर्लिन में फैशन उद्योग ने एथिकल फैशन शो का आयोजन करना शुरू किया है ताकि शोषणमुक्त माल बाजार में पहुंचे.