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थोड़ा एस्पिरिन लो कैंसर का खतरा दूर करो

७ दिसम्बर २०१०

नए शोध में पता चला है कि एस्पिरिन का हल्का डोज कैंसर का खतरा कम सकता है. वैज्ञानिकों ने सलाह दी कि 40 साल से ऊपर के लोग एहतियातन रोज एस्पिरिन ले सकते हैं और कैंसर का खतरा कम कर सकते हैं.

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तस्वीर: Bayer

इस शोध के बाद पहले से जारी बहस को और बढ़ावा मिल सकता है कि एस्पिरिन लेने के फायदे और नुकसान क्या हैं. क्योंकि एस्पिरिन के बारे में एक तथ्य और प्रमाणित है कि इससे पेट में रक्त स्राव होने का खतरा बढ़ जाता है. तथ्य बताते हैं कि एस्पिरिन से हजार में कम से कम एक व्यक्ति के पेट में रक्त स्राव होता है.

आठ प्रयोगों के तहत 25 हजार 570 मरीजों पर परीक्षण किए गए. इस प्रयोग में सामने आया कि जिन्होंने 75 मिलीग्राम एस्पिरिन रोज खाया ऐसे मरीजों में कैंसर से मृत्यु के मामले में 21 फीसदी की कमी आई जबकि पांच साल के बाद 34 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई.

Bayer Aspirin
तस्वीर: AP

शोध में पता चला कि एस्पिरिन के कारण गैस्ट्रोइंटस्टाइनल कैंसर मामलों में कमी आई. यही नहीं एस्पिरिन लेने वाले रोगियों की मौत की संख्या भी पांच साल में 54 फीसदी कम हो गई.

ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के पीटर रॉथवेल ने कहा कि एस्पिरिन से पेट में रक्त स्राव होने का खतरा बहुत कम है जबकि कैंसर और हार्ट अटैक का खतरा बहुत कम हो जाता है. "पहले ये सही निर्देश दिया गया था कि स्वस्थ अधेड़ उम्र के लोगों में एस्पिरिन से आंतरिक रक्त स्रातव का खतरा है लेकिन इस खतरे को एस्पिरिन के फायदों ने थोड़ा कम किया क्योंकि यह हार्ट अटैक और पक्षाघात से बचाती है और अब कई तरह के कैंसर से होने वाली मौतों की संख्या को कम करने वाले शोध के बाद कई लोगों का नजरिया बदलेगा."

Flash-Galerie Deutschland Erfindungen Aspirin
तस्वीर: picture-alliance/dpa

एस्पिरिन सबसे पहले बायर कंपनी ने बनाई थी. यह एक बहुत ही सस्ती दवाई है जो आमतौर पर दर्द और बुखार के लिए दी जाती है. पहले के शोधों में सामने आया था कि एस्पिरिन मलाशय और आंत के कैंसर का खतरा कम कर सकती है. तब बताया गया था कि एस्पिरिन साइक्लोऑक्सिजनेस-2 नाम के एन्जाइम का बनना रोक देती है जिससे इन दो कैंसरों का खतरा कम हो जाता है. साइक्लोऑक्सिजनेस-2 सूजन और कोशिका विभाजन का कारक होता है और यह कैंसर की गांठ में पाया जाता है.

द लांसेट में प्रकाशित रॉथवेल शोध में वैज्ञानिकों ने पाया प्रोस्टेट कैंसर के मामले में मृत्यु का खतरा 10 फीसदी, फेंफड़ों के कैंसर में 30, मलाशय या आंत के कैंसर में 40 और ओसोफीगल कैंसर के मामले में एस्पिरिन लेने से मौत का खतरा 60 फीसदी कम हो गया. अग्नाशय, पेट, और मस्तिष्क के कैंसर के मामलों की पुष्टि करना मुश्किल था क्योंकि इन कैंसर के कारण लोगों की मौत कम होती है. वैज्ञानिकों ने यह भी कहा कि परीक्षण के दौरान एस्पिरिन से इलाज सिर्फ औसतन चार से आठ साल तक किया गया.

कार्डिफ यूनिवर्सिटी के पीटर एलवुड एस्पिरिन के जानकार हैं. वह इस शोध में शामिल नहीं थे. एलवुड एस्पिरिन को एक असाधारण दवाई बताते हैं. इसके फायदों की तुलना में रक्त स्राव का खतरा बहुत ही कम है.

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम

संपादनः एन रंजन

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