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त्राहिमाम के बाद शायद यही बीज बचाएंगे

२४ फ़रवरी २०१७

प्रलय जैसी इंसानी या प्राकृति आपदा के बाद अन्न कैसे मिलेगा? वैज्ञानिक आर्कटिक के बीज भंडार को इसीलिए समृद्ध कर रहे हैं.

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Symbolbild Spießbürgertum und Klischees in Deutschland Taubenfüttern
तस्वीर: picture-alliance/dpa

नॉर्वे और उत्तरी ध्रुव के बीच इंसानी आबादी से दूर एक द्वीप है, स्वालबार्ड आर्किपेलागो. वहां दुनिया का सबसे बड़ा बीज भंडार है. बर्फीली वादियों में बनाया गया यह एक इमरजेंसी बीज भंडार है. परमाणु युद्ध और प्रलय जैसी प्राकृतिक आपदा के चलते अगर कभी दुनिया भर में फसलें खत्म हो गईं, तो स्वालबार्ड ग्लोबल सीड वॉल्ट से बीज निकालकर खेतों में फिर से बुआई की जा सकेगी.

बुधवार को बर्फीले द्वीप में बने इस बीज भंडार की तिजोरी 10 साल बाद खोली गई. इस दौरान वैज्ञानिकों ने भारत, मध्य पूर्व, उत्तरी अफ्रीका और अमेरिका से जुटाए गए बीज संभाले.

Norwegen Forschungsstation in Svalbard
स्वालबार्ड का ग्लोबल सीड वॉल्टतस्वीर: Reuters/A. Filipova

असल में 1945 में जापान पर अमेरिका परमाणु हमले के बाद दुनिया के ताकतवर देशों में परमाणु बम बनाने की होड़ छिड़ गई. इसी दौरान वैज्ञानिकों ने 1947 में एक डूम्सडे क्लॉक भी बनाई. "द बुलेटिन ऑफ एटॉमिक साइंटिस्ट्स" के सदस्यों की इस क्लॉक को सर्वनाश की घड़ी भी कहा जा सकता है. शिकागो यूनिवर्सिटी में टंगी इस घड़ी के जरिये परमाणु युद्ध और जलवायु परिवर्तन के करीब आते खतरे को भांपा जाता है.

1947 से चल रही इस घड़ी के कांटे अब सर्वनाश के लम्हे के करीब हैं. दुनिया भर में राष्ट्रवाद के बढ़ते उफान और जलवायु परिवर्तन को नकारने वाले डॉनल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद जनवरी 2017 में डूम्सडे क्लॉक की सुइयां आगे बढ़ीं. अब घड़ी में 11:57:30 बज रहे हैं. 12 बजने का मतलब तबाही है. इससे पहले 1953 में कोरिया संकट के दौरान घड़ी 11:58 तक गई.

युद्ध या अभूतपूर्व जलवायु परिवर्तन की स्थिति में अगर फसलें खत्म हो गईं तो आर्कटिक के बीज भंडार का ही सहारा बचेगा. स्वालबार्ड ग्लोबल सीट वॉल्ट में सूखे इलाकों में कृषि को बेहतर बनाने पर भी रिसर्च हो रही है. इस बार बीज भंडार में अमेरिका, उत्तरी अफ्रीका, भारत और मध्य पूर्व के 50,000 हजार बीज लाए गए हैं.

(इनसे है पृथ्वी को सबसे बड़ा खतरा)

ओएसजे/आरपी (रॉयटर्स)