जमेगी फुकुशिमा की जमीन
११ मार्च २०१४रिक्टर स्केल पर नौ की तीव्रता वाले इस भूकंप के कारण करीब 19,000 लोगों की जान गई. आज भी तीन लाख लोग अस्थायी शिविरों में रह रहे हैं. इस काले दिन को याद करते हुए जापान में स्थानीय समय दोपहर 2.46 को एक मिनट का मौन रखा गया. तीन साल पहले इसी वक्त भूकंप ने जापान की तस्वीर बदल दी थी.
टोक्यो में इस मौके पर अफसोस व्यक्त करते हुए जापान के सम्राट अकिहितो ने कहा, "पिछले तीन साल में प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों ने बहुत सी कठिनाइयों का सामना करते हुए एकता दिखाई और पुनर्निर्माण के काम में बड़े कदम उठाए हैं." अकिहितो ने कहा कि यह बात उनके दिल को छू रही है कि आज भी देश विदेश से लोग हर तरह से अपना सहयोग दिखा रहे हैं.
सरकार से नाखुश
हालांकि स्थानीय अखबारों में छप रही रिपोर्टों की मानें तो लोग निर्माण कार्य से संतुष्ट नजर नहीं आ रहे. एक सर्वे के मुताबिक जापान में 77 फीसदी लोगों का मानना है कि प्रभावित इलाकों में ठीक तरह से निर्माण कार्य नहीं हो पाया है. जापान ने मार्च 2016 तक निर्माण कार्य के लिए 250 अरब डॉलर का खर्च मंजूर किया है. सोमवार को प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने इस साल मई तक एक नए हाइवे के खोले जाने का एलान किया है जो फुकुशिमा इलाके से जुड़ेगा. उन्होंने कहा, "फुकुशिमा में निर्माण कार्य को प्रभावशाली रूप से पूरा करने के लिए हम (सड़क के) निर्माण के काम में तेजी लाएंगे."
प्रधानमंत्री ने वादा तो कर दिया लेकिन निर्माण कंपनियों के पास इसके लिए श्रमिकों की भारी कमी है. 2020 में टोक्यो में ओलंपिक खेलों का आयोजन होना है और अधिकतर श्रमिक उसी में लगे हैं. फुकुशिमा के लोगों की शिकायत है कि खेलों के आयोजन की वजह से उनकी मदद में देरी हो रही है और सरकार उनके हितों को नजरअंदाज कर रही है.
रिएक्टरों से खतरा
2011 में पहले सूनामी और फिर भूकंप के बाद फुकुशिमा दाइची परमाणु संयंत्र में खराबी आई और परमाणु रिसाव भी हुआ. इसके बाद से वहां काम बंद कर दिया गया. सुरक्षा कारणों से जापान के सभी 48 परमाणु रिएक्टरों को बंद कर दिया गया. पिछले तीन साल से इन सबकी जांच की जा रही है. अब प्रधानमंत्री आबे ने कहा है कि जिन रिएक्टरों में खराबी नहीं पाई गयी है, उन्हें जल्द ही दोबारा चालू किया जाएगा. इसके विरोध में रविवार को 30,000 लोगों ने संसद को घेरा और रिएक्टरों को बंद रखने की मांग की.
फुकुशिमा दाइची परमाणु संयंत्र में कुल छह रिएक्टर हैं. परमाणु विकिरण को रोकने के लिए और इन्हें ठंडा करने के लिए वहां पानी का इस्तेमाल किया गया. परमाणु ईंधन के संपर्क में आने के कारण इस पानी को दोबारा नदी या समुद्र में नहीं बहाया जा सकता. आज भी संयंत्र के क्षेत्र में करीब साढ़े चार लाख घन मीटर पानी भरा हुआ है और कोई नहीं जानता कि उसके साथ क्या किया जाए. इसमें से कम से कम 70,000 घन मीटर पानी बेहद हानिकारिक है. फिलहाल इसे 1,200 टैंकों में भर कर रखा गया है लेकिन इनमें से पानी के रिसाव की भी खबरें आती रही हैं.
इतना ही नहीं जमीन के नीचे भी पानी प्रदूषित हो चुका है और यह दूसरे इलाकों के पानी को भी खराब कर सकता है, जो लोगों के पीने के काम आता है. इसे रोकने के लिए फुकुशिमा की जमीन को ही जमा देने की योजना है. लेकिन इसमें पचास करोड़ डॉलर और दो साल लगेंगे.
आईबी/एएम (एएफपी, रॉयटर्स)