ताबूत होगा खुशी का पैमाना
२८ सितम्बर २०१०सिंगापुर के इस प्रतिष्ठान ने मंगलवार को एक अंतर्राष्ट्रीय कला प्रतियोगिता के विजेताओं के नामों की घोषणा की. इस प्रतियोगिता में लोगों को वयोवृद्ध नागरिकों की मौत को खुशनुमा बनाने के लिए ताबूत के डिजाईन बनाने थे.
37 देशों से कुल 733 प्रविष्टियां आई थीं. तीन हजार डॉलर का पहला पुरस्कार बेल्जियम की 27 वर्षीया इनेस फान गुख्ट को मिला. उनके ताबूत पर घुंघराले बालों वाले एक काले जीव का चित्र था. कलाकार के अनुसार वह एक दोस्त है, जो मौत के बाद उनका ख्याल रखेगा. ताबूत पर लिखा हुआ था: हैलो ताबूत, तुम एक अच्छे दोस्त लगते हो, किसी दिन हमारी मुलाकात होगी. बाकी लोगों को अलविदा.
एक दूसरे ताबूत को चॉकलेट की शक्ल दी गई थी, जबकि एक ताबूत में ईसा मसीह के आखिरी भोज का चित्र बनाया गया था.
इस परियोजना के अंतर्गत रोमन कैथोलिक गिरजे के वृद्धाश्रम में रहने वाली तीन वयोवृद्ध महिलाओं ने भी अपने ताबूत बनाए. 76 साल की सौम्य महिला एलसी चुआ का कहना था कि उन्हें अपना ताबूत देखकर खुशी होती है. उनके सफेद ताबूत पर नीले रंग में एक युवा महिला का चित्र बनाया गया, जो कढ़ाई कर रही थी, और चारों ओर फूल, तितलियों और एक रेंडियर के चित्र बने हुए थे. उनका कहना था कि जब उनकी उम्र कम थी, वह चाव से कढ़ाई का काम करती थी.
लिएन प्रतिष्ठान की ओर से यह परियोजना शुरू की गई है. प्रतिष्ठान के प्रमुख ली पोह वाह का कहना है कि इस पेशकश के जरिये वे मौत के प्रतीक ताबूत को चिंतन और जीवन की खुशी के स्रोत के रूप में बदलने की कोशिश कर रहे हैं. उनका कहना है कि अगर कपड़ों, यहां तक कि चॉकलेट के डिजाईन हो सकते हैं, तो ताबूत के क्यों नहीं?
रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ
संपादन: महेश झा