तस्वीर जिसने बदल दी जिंदगी
वेंडी निकोल बतौर पर्यावरण पत्रकार जब युगांडा गईं तो नहीं जानती थीं कि उनकी जिंदगी को वह मकसद मिल गया है जिसके लिए वह अपना घर तक बेच देंगी.
यहां से हुई शुरुआत
वेंडी निकोल ने युगांडा में एक प्रोजेक्ट के दौरान यह तस्वीर खींची. बेकहम की आंखें बहुत कुछ कहती हैं. उन दो आंखों की ताकत ने निकोल को एहसास दिलाया कि दुनिया के कई हिस्सों में शिक्षा, पर्यावरण और सामाजिक उत्थान की दिशा में कितना कुछ होना बाकी है.
घर बेचा
अमेरिका में सहूलियतों से भरा जीवन जीने के बाद युगांडा जाने का फैसला आसान नहीं था, लेकिन निकोल ने ऐसा किया. अपना घर बेचकर वह युगांडा में कलेहे गांव पहुंचीं. यहां उन्होंने अपनी गैर सरकारी संस्था शुरू की. वह स्थानीय लोगों के साथ मिलकर पर्यावरण और सामाजिक परियोजनाओं पर काम करती हैं.
पहाड़ी गुरिल्ला के प्रति आकर्षण
निकोल पहाड़ी गुरिल्ला देखने के लिए बहुत उत्सुक थीं. यहां घट रहे जंगलों से यह प्रजाति बड़े खतरे में है. साथ ही नेशनल पार्क में उनके विस्थापन से भी उन्हें तकलीफ का सामना करना पड़ा. निकोल कहती हैं, "यहां लोग और गुरिल्ला दोनों ही गरीबी की बड़ी बीमारियों जैसे टीबी और स्कैबीज के खतरे में हैं."
संरक्षण का सपना
निकोल की रिडेंप्शन सॉन्ग फाउंडेशन संस्था पर्यावरण संरक्षण के फिर से जंगल लगाने जैसे उपायों पर काम कर रही है. साथ ही यह संस्था गैरकानूनी शिकार के खिलाफ काम कर रही है. इस तस्वीर में दिखाई दे रहे लकड़ी के लट्ठों को लोग पुल बनाने के लिए ले जा रहे हैं. जहां कहीं भी पेड़ गिरता है वहां नया पौधा रोपा जाता है.
बहुत कुछ करना है
संरक्षण के अलावा उनकी संस्था स्थानीय लोगों द्वारा बनाई गई डलियों को उचित दाम पर बेचती है ताकि विकास के लिए पैसे जुटाए जा सकें. संस्था बच्चों को स्कूल जाने के लिए प्रोत्साहित करती है और इस बात का ख्याल रखती है कि उनके भोजन में पर्याप्त प्रोटीन हो. निकोल को स्थानीय बच्चों के साथ समय बिताना बेहद पसंद है. (टैमसिन वॉकर के साथ निकोल के इंटर्व्यू पर आधारित)