तकनीकी निगरानी का इतिहास
निगरानी संस्था टुफ (टीयूवी) का इतिहास 1866 में स्टीम बॉयलर में धमाके के साथ शुरू हुआ. स्टीम बॉयलरों को बेहतर बनाने के लिए बने यूनियन इस बीच तरह तरह के उत्पादों की व्यापक तकनीकी जांच करने वाली संस्थाओं का रूप ले चुके हैं.
औद्योगिकीकरण का प्रतीक
स्टीम इंजन पहली औद्योगिक क्रांति का प्रतीक था. भाप की मदद से मशीन और इंजन चलाए जाते थे, अनाज तैयार किया जाता था और ऊर्जा कंप्रेस्ड हवा के रूप में जमा की जाती थी. लेकिन शुरुआती मशीनें की क्वालिटी खराब होने के कारण वे खतरनाक भी थीं.
श्रम सुरक्षा यूनियन
जर्मनी के आखेन शहर के निकट एशवाइलर में 1881 में हुई इस तरह की दुर्घटनाओं में अक्सर कामगार मारे जाते थे. कारखाना नष्ट हो जाता था. ऐसी ही एक दुर्घटना टुफ के गठन की भी वजह बनी. मनहाइम में 1865 में एक ब्रुअरी में हुए धमाके के बाद मालिकों ने तकनीकी निगरानी और बीमा संघ बनाया.
हर कहीं मांग
बस शुरुआत की देर थी. बाद के सालों में हर शहर में स्टीम बॉयलर तकनीकी निगरानी संघ बन गए. जो कारखाने इन संगठनों के सदस्य थे, उनकी जांच 1871 से सरकारी इंस्पेक्टरों द्वारा नहीं की जाती थी. लेकिन अभी भी कारखानों में धमाके हो रहे थे, जैसे यहां 1916 में न्यूरेमबर्ग में.
बॉयलर से कारों तक
औद्योगिक विकास के साथ निगरानी और बीमा संघों की जिम्मेदारी भी बदलती गई. ऑटोमोबिल के आविष्कार और प्रसार के साथ स्टीम बॉयलर निगरानी संघ तकनीकी निगरानी संघ में बदल गया. आज इसे जर्मनी में हर कोई कारों के इंस्पेक्शन की वजह से जानता है.
उत्पादों की क्वालिटी
टुफ की जिम्मेदारी सिर्फ लाइसेंस मिली गाड़ियों की कुशलता की ही जांच करना नहीं है. वह उत्पादों के विकास की प्रक्रिया में जांच करता है. मसलन इस तरह के क्रैश टेस्टों के जरिए वह गाड़ियों के सिरीयल प्रोडक्शन से पहले ही जांच करता है कि वे सक्षम हैं या नहीं.
बचाव की ट्रेनिंग
टुफ राहतकर्मियों के साथ भी काम करता है. यहां फायर ब्रिगेड कर्मी एक नकली दुर्घटना में बचाव कार्य की ट्रेनिंग कर रहे हैं. टुफ के विशेषज्ञ निजी दफ्तरों और सरकारी कार्यलयों में भी अग्निशमन की ट्रेनिंग देते हैं और मदद के लिए फर्स्ट एड वर्करों को तैयार करते हैं.
इंसान की जांच
सिर्फ तकनीक का सही ढंग से चलना जरूरी नहीं बल्कि इंसान का भी. यदि कोई ड्राइवर अक्सर अपने ऊपर नियंत्रण खोने लगता है और दुर्घटना करता है तो अधिकारी उसे चिकित्सीय मनोवैज्ञानिक टेस्ट के लिए भेज सकते हैं. यह टेस्ट पास नहीं करने पर उनसे लाइसेंस छीन लिया जाता है.
कंपनी फीजिशियन
कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों का स्वास्थ्य उद्यम के लिए जरूरी होता है. इसलिए बड़ी कंपनियों में चिकित्सीय सेवा भी होती है. आमतौर पर ये डॉक्टर टुफ के होते हैं जो कंपनी में आकर कर्मचारियों को टीके और दवाओं जैसी जरूरी चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराते हैं.
अच्छी हवा, अच्छी पढ़ाई
स्कूलों में क्लासरूम का सुरक्षित होना भी जरूरी है. टुफ के कर्मचारी स्कूलों में हवा की क्वालिटी की जांच करते हैं. वे देखते हैं कि कहीं पीसीबी की मात्रा ज्यादा तो नहीं है. टुफ इसके अलावा हवा में इंसानी स्वास्थ्य के लिए खतरनाक एस्बेस्टोस की भी जांच करता है.
धुंध या स्मॉग
जर्मनी में पूरे देश में हवा की जांच करने वाले स्टेशनों का नेटवर्क है, जो लगातार हवा में फाइन पार्टिकल्स, नाइट्रिक ऑक्साइड, सल्फर ऑक्साइड और दूसरे घातक तत्वों की मात्रा को रजिस्टर करते रहते हैं. ये डाटा सीधे राज्यों और केंद्र के पर्यावरण अधिकारियों को पहुंचता है.
प्रोडक्ट कितने सुरक्षित
खाद्य पदार्थों और दवाओं का उत्पादन करने वाली कंपनियां अपने उत्पादों की सुरक्षा और सफाई की गारंटी देने को बाध्य हैं. उन्हें इसकी व्यवस्था खुद करनी होती है और उठाए गए कदमों का रिकॉर्ड रखना होता है. यह काम भी टुफ की जिम्मेदारियों में शामिल है. उसके अपने बायोकेमिकल लैब हैं.
सुरक्षा सर्टिफिकेट
पावर सप्लाई यूनिट बिजली को एसी से डीसी करंट में बदलती है, ज्यादा वोल्टेज करंट से कम वोल्टेज करंट में. इन उत्पादों को बाजार में लाने के पहले गारंटी करनी पड़ती है कि वे सुरक्षित हैं और सुरक्षा के सरकारी मानकों को पूरा करते हैं. टुफ जांच कर सर्टिफिकेट देता है.
सुरक्षित राइड
कहीं मेला लगा हो तो वहां छोटे से लेकर बड़े झूले और रोलर कोस्टर होते हैं. वे बहुत तेज चलते हैं और फोर्स पैदा करते हैं. यहां टुफ का एक कर्मचारी रोलर कोस्टर के ट्रैक की जांच कर रहा है. उसकी हरी झंडी के बाद ही यहां राइड का मजा लिया जा सकता है.
बढ़ती जिम्मेदारी
अपने अस्तित्व के 150 सालों में टुफ ने बहुत सारी नई जिम्मेदारियों शामिल कर ली हैं, लेकिन इसके बावजूद वह अपनी सबसे पुरानी जिम्मेदारी को भूला नहीं है. आज भी प्रेशर टैंक का आधुनिक उद्योग में बहुत ज्यादा महत्व है.