ड्रैकुला की कहानी से प्रेरणा
२३ सितम्बर २०१४ड्रैकुला का जादू आर्टिकल पढ़कर साइमन जॉन का कहना है "ड्रैकुला कहानी मुझे सबसे ज्यादा प्रेरित करती है. मैंने इन्टरनेट पर ड्रैकुला का हर गेम खेला है. मैंने इन खेलों से जाना कि ड्रेकुला एक दुष्ट पिशाच की तरह तो दिखता है मगर वास्तविकता में वह एक बहुत अच्छा इन्सान था. ( खेल में) हमेशा मुझसे बड़े अच्छे तरीके से बात की, अगर उसने कोई वादा किया तो उसे पूरा भी किया."
फोटो गैलरी उड़ान के बादशाह गिद्ध देख कर अनिल द्विवेदी लिखते हैं "आपको अब पता चला कि इनकी दृष्टि बहुत दूर तक जाती है जबकि राम चरित मानस में संपाती को लंका तक दिखने का उल्लेख यूं ही नहीं हुआ है." और कैसे करें चेहरे की सफाई आर्टिकल पढ़ कर लिखते हैं "घर में एक गमले में एलोयवेरा लगा लें. उसके पत्तों के रस को चेहरे और बाल पर लगा कर सुखा लें फिर धोएं और किसी ट्रीटमेंट की जरुरत नहीं."
सऊदी अरब से मुहम्मद सादिक आजमी लिखते हैं, "इस बार के मंथन में भी नए आविष्कारों का पिटारा खुलते ही मन प्रसन्न हो उठा. हमारे स्वास्थ्य संबंधी आंकड़े इकट्ठा करने में स्मार्टफोन की क्या भूमिका होगी, इस पर जानकारी मिली. इंटरनेट के आधुनिक युग में समय रहते हम अपने स्वास्थ्य संबंधित सारी जानकारी अपने डॉक्टर को तुरंत भेज सकेंगें और समय रहते बीमारी का इलाज सम्भव होगा. यह अनोखी खोज है जिसके चलते समय और पैसे दोनों की बचत होगी."
डोडा खान आरिसर लिखते हैं "मैं आपका नया दर्शक व पाठक हूं. आपकी वेबसाइट बहुत अच्छी लगती है. हिन्दी वेब पेज की जितनी भी तारीफ करुं कम है. आपकी क्विज में हिस्सा लेना चाहता हूं प्लीज जानकारी दीजिए."
जालना, महाराष्ट्र से अमोल परलकर कहते हैं "डीडब्ल्यू से जुड़ कर नई नई जानकारियां मिल रही हैं. ऐसा लग रहा मैं डीडब्ल्यू से इतनी दूर कैसे रहा. काफी देरी से मुझे आपकी साइट का पता चला जो बहुत ही जानकारी युक्त है. मैं जालना से 25 किलोमीटर की दूरी पर रहता हूं जालना में मेरे अंकल रहते हैं उन्हीं के पास नेट पर आपकी जानकारी मुझे मिली. मैं हर रोज इतनी दूर से डीडब्ल्यू के समाचार पढ़ने आता हूं."
संकलनः विनोद चड्ढा
संपादनः आभा मोंढे