ड्रीमर्स को है ट्रंप के फैसले का इंतजार
५ सितम्बर २०१७25 साल की ईका एरन आज से तकरीबन 15 साल पहले अपने मां-बाप के साथ तुर्की से अमेरिका पहुंची थीं. तब से लेकर आज तक ईका अपने परिवार के साथ अमेरिका में बिना किसी कानूनी हैसियत के रह रहीं है. ईका ने वहां यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया और आज एक कंपनी में काम कर रहीं है. ईका के लिये यह सब संभव हुआ पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में अपनाई गई डेफर्ड एक्शन फॉर चाइल्डहुड एराइवल (डीएसीए), "बाहर से आने वाले नाबालिगों के लिए अमेरिकी नीति" के चलते. मौजूदा राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप इस नीति को बदलने की बात करते हैं. पिछले साल 2016 में अपने चुनावी प्रचार के दौरान ट्रंप ने इसे खत्म करने पर जोर दिया था.
क्या है डीएसीए
डीएसीए साल 2012 में पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में शुरू किया एक सरकारी कार्यक्रम था, जिसके तहत गैरकानूनी ढंग से अमेरिका पहुंचे बच्चों को अस्थायी रूप से रहने, पढ़ने और काम करने का अधिकार दिया गया. यह नीति आप्रवासियों की कानूनी स्थिति में कोई बदलाव नहीं करती है लेकिन उन्हें निर्वासन से जरूर बचाती है. जो डीएसीए इसके तहत आवेदन देते हैं उनके आपराधिक रिकॉर्ड और दूसरी बातों का सत्यापन किया जाता है. जो इसमें पास हो जाते हैं उन्हें ड्राइविंग लाइसेंस, कॉलेज में दाखिला, वर्क परमिट की अनुमति मिल जाती है और जो पास नहीं हो पाते उन्हें वापस भेज दिया जाता है. इसी नीति के तहत अमेरिका आज 8 लाख आप्रवासियों को संरक्षण दे रहा है. कयास है कि ट्रंप इस मसले पर मंगलवार को कोई फैसला ले सकते हैं. इन लोगों को यहां कथित रूप से ड्रीमर्स कहा जाता है.
क्यों कहलाते हैं ड्रीमर्स
अमेरिकी कांग्रेस में नाबालिगों के डेवलपमेंट, रिलीफ, एजुकेशन फॉर एलाइन माइनर्स (ड्रीम) एक्ट प्रारित नहीं हो सका था जिसके बाद ओबामा प्रशासन ने इसे एक समझौते के तहत इस नीति को लागू किया था. अपने चुनाव प्रचार अभियान में ट्रंप ने इसे जल्द खत्म करने का दावा किया था, लेकिन पद संभालने के बाद से ही ट्रंप ने इस पर नरम रुख अपनाया. मीडिया को हाल में दिये अपने बयान में ट्रंप ने कहा "हम ड्रीमर्स से प्यार करते हैं."
अब क्या?
रिपब्लिकन पार्टी के भीतर एक बड़ा तबका आप्रवासियों पर कड़े रुख का समर्थन करता है और अब यह धड़ा ट्रंप पर दबाव बना रहा है. हालांकि कई बड़ी कंपनियों मसलन माइक्रोसॉफ्ट, एप्पल, फेसबुक ने ट्रंप से यथास्थिति बनाये रखने की गुहार भी लगाई है. कंपनियों को डर है कि इस नीति को वापस लेने का फैसला अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकता है. लेकिन इस आप्रवासी नीति के खिलाफ खड़े लोग भी इसके फायदे गिनाने से नहीं चूक रहे हैं.
फेडरेशन फॉर अमेरिकन इमीग्रेशन रिफॉर्म से जुड़ी डेव रे के मुताबिक, "डीएसीए की समाप्ति से अमेरिकी कॉलेज ग्रेजुएट्स और काम करने वालों के लिेये नये रास्ते खुलेंगे." वहीं डीएसीए आप्रवासियों के साथ काम करने वाले मानते हैं कि अगर इस नीति को वापस लिया जाता है तो काम पर बहुत बुरा असर पड़ेगा. आशंका है कि नीति वापस ली जाती है तो फैसले के विरोध में लाखों युवा आप्रवासी मोर्चा खोल सकते हैं.
एए/एनआर (रॉयटर्स, एपी)