डी-डे के 70 साल
6 जून 1944 को मित्र देशों की सेना फ्रांस के नॉरमंडी पर उतरी और नाजियों के खिलाफ दूसरा मोर्चा खोला. यहीं से दूसरे विश्व युद्ध के अंत की शुरुआत हुई.
नाम की उलझन
डी-डे नाम क्यों पड़ा, इस पर सालों से बहस हो रही है. कई यह मानते हैं कि डी का मतलब यहां डिसीजन यानि फैसला है. युद्ध के लिए यह दिन निर्णायक तो था ही.
चौदह देश
अमेरिका के अलावा हमले में तेरह अन्य देशों ने हिस्सा लिया. इनमें ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस, पोलैंड, ग्रीस और चेकोस्लोवाकिया शामिल हैं.
हमले की कमान
उत्तरी यूरोप में मित्र देशों की सेना के कमांडर जनरल ड्वाइट आइजनहाउवर थे. बाद में वे अमेरिका के राष्ट्रपति बने. उनके नेतृत्व में सेना सिसली में उतरी थी.
तूफानी मौसम
ऑपरेशन ओवरलॉर्ड की शुरुआत से ठीक पहले नॉरमंडी में तूफान आया. हमले को एक दिन के लिए टालना पड़ा. 6 जून को हुआ हमला इतिहास का सबसे बड़ा नौसैनिक हमला था.
मौत के सौदागर
डी-डे को एक लाख साठ हजार सैनिक नॉरमंडी पहुंचे. पांच अलग अलग जगहों पर उन्होंने जर्मन सेना पर हमला करना शुरू किया. इस दौरान उनके पास कोई सुरक्षा नहीं थी.
मुंह पर कालिख
हमला शुरू होने से पहले ही पैराट्रूपर जमीन पर पहुंच चुके थे और अटलांटिक वॉल के पास जगह बना चुके थे. हमले की तैयारी के दौरान चेहरे पर वॉर पेंट लगाते सैनिक.
चारों तरफ से हमला
नॉरमंडी पर पहले हवाई हमला किया गया. तट पर कब्जा कर लेने के बाद एक हजार युद्धपोत और 4,200 जहाज वहां पहुंचे. पूरे इलाके को हजारों टैंकों से घेर लिया गया था.
चकमा
ऑपरेशन ओवरलॉर्ड की सफलता की एक बड़ी वजह यह थी कि जर्मन सेना इसके लिए बिलकुल भी तैयार नहीं थी. नाजी सोचते रहे कि अगर हमला हुआ तो बेल्जियम की सीमा के पास होगा.
बिना तैयारी के
जिस वक्त हमला हुआ जर्मन सेना के कई अफसर छुट्टी मना रहे थे. फील्ड मार्शल एरविन रोमेल अपनी पत्नी का 50वां जन्मदिन मनाने दक्षिण जर्मनी गए हुए थे.
हिटलर का घमंड
हिटलर उस वक्त ओबरजाल्सबर्ग में सो रहा था. जब सुबह दस बजे उसे खबर दी गयी, तो उसने बहुत आत्मविश्वास से कहा, "इससे बेहतर क्या हो सकता है, वो लोग उस जगह पर गए हैं जहां हम उन्हें आसानी से हरा देंगे."
करीब एक साल तक
यूरोप में शांति आते आते ग्यारह महीने का वक्त लग गया. यूरोप में लड़ाई खत्म होने के बाद सैनिकों को एशिया में भेज दिया गया. लड़ाई 2 सितंबर 1945 को जापान के समर्पण के साथ खत्म हुई.
लाखों जानें
ऑपरेशन ओवरलॉर्ड में मित्र देशों की सेनाओं के 57,000 सैनिकों की जान गयी. 1,55,000 बुरी तरह घायल हुए और 18,000 लापता हो गए. जर्मनी के भी दो लाख सैनिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी.
दोस्ती का हाथ
दस साल पहले जर्मन चांसलर गेरहार्ड श्रोएडर नॉरमंडी के समारोह में हिस्सा लेने वाले पहले चांसलर थे. श्रोएडर ने कहा था, "हम कभी भी उन पीड़ितों को नहीं भूलेंगे. यह अब उस अंधेरे युग का जर्मनी नहीं रहा और मैं इसका प्रतिनिधित्व करने आया हूं."
70 साल बाद
इस साल जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल, ब्रिटेन की रानी एलिजाबेथ, बराक ओबामा और व्लादिमीर पुतिन भी समारोह में हिस्सा लेने फ्रांस पहुंचे हैं.