डीएनए करवाता है दोस्ती
१५ जुलाई २०१४दोस्तों में अक्सर एक जैसी ही आदतें होती हैं. आपस का तालमेल कुछ ऐसा बन जाता है कि इशारों इशारों में ही बातें हो जाती हैं. भीड़ में बैठे दो दोस्तों को एक दूसरे से बात करने के लिए शब्दों की जरूरत नहीं पड़ती. उनकी आंखें ही एक दूसरे से सब कह देती हैं. लेकिन इसके पीछे क्या विज्ञान छिपा हो सकता है?
वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि दोस्तों की केवल आदतें या सोचने का तरीका ही एक जैसा नहीं होता, उनका डीएनए भी समान होता है. यह काफी हैरान कर देने वाला है. क्योंकि अब तक यही समझा जाता था कि परिवार के सदस्यों का डीएनए ही मेल खाता है. लेकिन अमेरिका में हुई एक रिसर्च बताती है कि दोस्तों का डीएनए भी लगभग उतना समान होता है जितना दूर के रिश्तेदारों का.
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया और येल यूनिवर्सिटी के इस शोध में 1,932 लोगों के डीएनए की जांच की गयी. इन लोगों के दोस्तों और रिश्तेदारों की जानकारी भी जमा की गयी. इसके लिए 1970 से 2000 के बीच के उनके रिश्तों के आंकड़े जमा किए गए. रिसर्चरों ने पाया कि जो जीन गंध समझने के लिए सक्रीय होते हैं, वे दोस्तों में एक जैसे ही थे.
लेकिन ऐसा क्यों होता है इसका ठीक ठीक जवाब फिलहाल नहीं मिल पाया है. वैज्ञानिकों का कहना है कि एक वजह यह हो सकती है कि एक ही जैसी जीन संरचना वाले लोग एक ही जैसे माहौल की ओर आकर्षित होते हैं और वहां एक दूसरे से टकरा जाते हैं. एक अन्य वजह यह हो सकती है कि जीन संरचना के कारण किसी एक दिशा में रुचि बढ़ जाती है. एक साथ काम करने पर लोग समान रुचि वालों को पहचान लेते हैं और उनमें दोस्ती हो जाते है.
रिपोर्ट: ईशा भाटिया (एपी)
संपादन: आमिर अंसारी