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डियोडरेंट बचाएगा पक्षियों की जान

२५ सितम्बर २०१०

डियोडरेंट का इस्तेमाल तन की दुर्गन्ध को दूर करने के लिए किया जाता है लेकिन न्यूजीलैंड में इसके जरिए अब मूल पक्षियों को बचाने की कोशिश होगी. पक्षियों से निकलने वाली दुर्गन्ध ही बनती है उनकी मौत का कारण.

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तस्वीर: DW/Irene Quaile

न्यूजीलैंड में मूल पक्षी बड़ी संख्या में पाए जाते हैं जिनमें कीवी भी शामिल हैं. लेकिन स्तनपायी जानवर वहां नहीं हैं. इसके चलते बाहर से जानवर लाए गए हैं जिनमें बिल्ली और स्टोएट्स (खास किस्म का नेवला) प्रमुख हैं. लेकिन ये जानवर न्यूजीलैंड के मूल पक्षियों के लिए खतरा साबित हो रहे हैं और उनके शिकार करने की वजह से पक्षियों की संख्या कम हो रही है.

केंटरबरी यूनिवर्सिटी में रिसर्च कर रहे जिम ब्रिस्की ने बताया है कि पक्षियों का अन्य जानवर इसलिए शिकार आसानी से कर लेते हैं क्योंकि उनके शरीर से खास गंध निकलती है और शिकारी जानवर उनकी ओर आकर्षित हो जाते हैं. ब्रिस्की के मुताबिक कीवी का शरीर मशरूम जैसी गंध छोड़ता है जबकि उड़ न सकने वाले काकापो तोता के शरीर से पुरानी लकड़ी जैसी गंध निकलती है.

यही वजह है कि इन पक्षियों को लुप्त होने से बचाने की खातिर उनके लिए डियोडरेंट विकसित करने की योजना है ताकि उनकी चिरपरिचित गंध को छिपाकर शिकारी जानवरों को धोखे में रखा जा सके. मार्सडेन साइंटिफिक रिसर्च फंड ने ब्रिस्की को करीब साढ़े चार लाख डॉलर दिए हैं और उनके पास तीन साल का समय है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: एन रंजन