डिप्रेशन का ज्यादा खतरा किसे
किशोरावस्था में हुआ व्यवहार बहुत हद तक यह निर्धारित करता है कि कोई व्यक्ति आने वाले समय में अवसाद का शिकार हो सकता है या नहीं.
इंग्लैड के रिसर्चरों के मुताबिक ऐसे युवा डिप्रेशन के ज्यादातर शिकार होते हैं जिनके साथ किशोरावस्था में अच्छा व्यवहार नहीं हुआ हो. बीएमजे पत्रिका में छपी रिपोर्ट के मुताबिक किशोरावस्था में प्रताड़ित हुए लोगों को अक्सर बाद में ज्यादा भुगतना पड़ता है.
वे लोग जिन्हें किशोरावस्था में किसी प्रिय सामान के खो जाने, उनके बारे में झूठ फैलाए जाने, मारपीट या ब्लैकमेल जैसी घटनाओं से गुजरना पड़ता है, उनकी अवसाद का शिकार होने की ज्यादा संभावना होती है.
इस रिसर्च में करीब 4000 लोगों से 13 साल की उम्र में एक प्रश्नपत्र भरवाया गया. पांच साल बाद उनका अवसाद के लिए टेस्ट किया गया. रिसर्चरों ने पाया कम से कम हर हफ्ते प्रताड़ित किये जाने वाले 683 लोगों में से 15 फीसदी 18 साल की उम्र में अवसाद ग्रसित थे.
युवावस्था में अवसाद के कई कारण हो सकते हैं. इनमें पारिवारिक समस्याएं, किसी तरह का नुकसान, मारपीट भी शामिल हैं.
रिसर्चरों ने पाया कि प्रताड़ना के खिलाफ स्कूलों में चलाए जा रहे कार्यक्रम खास कारगर नहीं हैं. उनके मुताबिक किशोरावस्था में बच्चों को इस तरह के अनुभवों से जितना ज्यादा बचाया जा सके, बेहतर है.