ट्विटर पर अडानी की चर्चा
५ अगस्त २०१५ऑस्ट्रेलिया की अदालत का कहना है कि कोयले के खनन से सांप और छिपकली की प्रजातियों को खतरा होगा और वे विलुप्त हो सकती हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए कंपनी का लाइसेंस रद्द किया गया है. इस पर ट्विटर पर एक यूजर ने लिखा है कि ऑस्ट्रेलिया में सांपों को बचाया जा रहा है और भारत में तो आदिवासियों तक का ख्याल नहीं रखा जा रहा है.
बहुत से लोग अडानी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नजदीकी पर टिप्पणी करते हुए लिख रहे हैं कि अगर ऑस्ट्रेलिया सरकार को मोदी चला रहे होते, तो अडानी के साथ ऐसा कभी नहीं होता. एक यूजर ने ट्वीट किया है कि भारत में ऐसा फैसला आने पर प्रधानमंत्री ऐसी अदालत पर ही रोक लगा देते. ऐसा भी लिखा गया है कि यह गुजरात नहीं, ऑस्ट्रेलिया है, जहां पर्यावरण पर ध्यान दिया जाता है.
इसी तरह एक यूजर ने लिखा है कि यह प्रोजेक्ट अगर गुजरात में होता, तो जरूर पास हो गया होता. वहीं अन्य यूजर ने चुटकी लेते हुए लिखा है कि अडानी को शायद लगा कि मोदी ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री हैं.
ऑस्ट्रेलिया के बहाने कई लोग गुजरात में अडानी के प्रोजेक्ट्स को मिली मंजूरी पर तंज कस रहे हैं. एक यूजर का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया की अदालत का फैसला यह साबित करता है कि अडानी ने गुजरात को तबाह करने के लिए मोदी को पैसे खिलाए. इसी तरह एक ट्वीट में यह भी कहा गया है कि अदालत का फैसला मोदी की भ्रष्ट सरकार के पतन की दिशा में पहला कदम है.
साथ ही एसबीआई द्वारा दिए गए छह हजार करोड़ के ऋण पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं. ट्विटर के माध्यम से लोग पूछ रहे हैं कि अडानी को इस प्रोजेक्ट के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने जो कर्ज दिया था, क्या अब वह भारत को लौटा दिया जाएगा.
हालांकि अडानी ने इसे एक तकनीकी गड़बड़ी बताया है और उम्मीद जताई है कि फैसला बदलेगा लेकिन जानकारों का मानना है कि ऑस्ट्रेलिया में विलुप्त होने वाली प्रजातियों का जायजा ले कर नई रिपोर्ट के आने में कम से कम एक साल का वक्त तो लग ही जाएगा. तब तक अडानी का ऑस्ट्रेलिया में सबसे बड़ी कोयला खदान बनाने का सपना पूरा नहीं हो सकेगा. गौरतलब है कि अडानी यहां एक बंदरगाह बनाने की भी योजना बना रहे थे, जहां से भारत को कोयला भेजा जाता. बहरहाल पर्यावरण संरक्षक ट्विटर पर "वूहू" लिख कर अपनी खुशी बयान कर रहे हैं.