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ट्रक तो हैं पर ड्राइवरों की कमी

१९ अगस्त २०१४

बसें सार्वजनिक परिवहन तो माल ढुलाई के लिए ट्रक भी जरूरी हैं. लेकिन इन्हीं के साथ जरूरत पड़ती है कुशल ड्राइवरों की.जर्मनी में ट्रक ड्राइवरों को अकेले सारा काम करना पड़ता है, ऐसे में ट्रक ड्राइवरों की कमी परेशान कर रही है.

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Notrufsäule an der Autobahn
तस्वीर: picture-alliance/Marc Müller

थोमास बीते सात साल से एक कंस्ट्रक्शन कंपनी के लिए माल ढुलाई कर रहे हैं. ट्रक की क्रेन भारी से भारी सामान उठा सकती है. आज बरसात का पानी जमा करने वाला कंक्रीट का टैंक लोड होना है. जरा सी भी गलती यानी भारी नुकसान. थोमास हाइनसेलमन कहते हैं, "पहली बात ये है कि हर बात की सुरक्षा होनी चाहिए. फिसलन से बचने का सही इंतजाम होना चाहिए. तकनीक सही होनी चाहिए और इसकी नियमित जांच होनी चाहिए."

जर्मनी में आठ लाख पेशेवर ड्राइवर हैं. आने वाले 10 साल में एक तिहाई रिटायर हो जाएंगे. यानी तब ड्राइवरों की कमी पड़ जाएगी. कंस्ट्रक्शन मैटीरियल बनाने वाले उद्योग इससे चिंता में हैं. श्नेलहंस कंपनी के पेटर हात्ये कहते हैं, "अगर बाहर से कोई नया ड्राइवर आता है, जिसकी हमने ट्रेनिंग नहीं दी है. वो बहुत महंगे होते हैं और उन्हें अपने वैल्यू का पता है. वे अखबार तो पढ़ते हैं और उन्हें यह भी पता होगा कि स्थिति कैसे बदल रही है और साफ है कि तनख्वाह भी बढ़ रही है."

जरूरी है ट्रेनिंग

ट्रेनिंग अकादमी डेकरा छोटे उद्योगों से जुड़े लोगों को पेशेवर ड्राइविंग की ट्रेनिंग दे रही है. तीन साल की ट्रेनिंग में काफी खर्च आता है, हालांकि सरकार पच्चीस हजार यूरो की मदद करती है. भविष्य के ड्राइवरों को हर तकनीक बारीकी सिखाई जाती है. काम के दौरान वह अकेले होंगे, हो सकता है कि किसी दुर्गम इलाके में हों. लिहाजा हर तरह की दुश्वारी से खुद ही निपटना होगा. इसीलिए बढ़िया ट्रेनिंग जरूरी है.

हर साल तीन से चार हजार लोग पेशेवर ड्राइवर बनने के लिए ट्रेनिंग ले रहे हैं. लेकिन इसे बीच में छोड़ने वालों की संख्या भी बहुत है. हर परिस्थिति में बड़ी और भारी गाड़ी चलाना, ये पेशा वाकई थकाने वाला है. ऐसे में नए लोगों को कैसे लुभाया जाए. डेकरा अकादमी के बेनेडिक्ट शिमेलफेनिंग कहते हैं, "ये धीरे धीरे बदल रहा है. कंपनियां पेशे को आकर्षक बनाने के लिए बहुत कुछ कर रही हैं. सबसे पहले तो पैसा एक मुद्दा है, उसके बाद काम का माहौल. फिर आराम और काम करने का वक्त, शिफ्ट और काम से सेहत पर असर की भी बात है."

युवा कैसे आएं

थोमास 48 साल के हैं. 50 के होते ही उनका मेडिकल टेस्ट होगा, ताकि यह तय हो सके कि वो गाड़ी चलाने के लिए फिट हैं. पहले थोमास रिटायर होना चाहते थे, "जब मैं बीते सालों के बारे में सोचता हूं तो मुझे लगता है कि कुछ और साल मुझे ये काम करना चाहिए. 10-12 साल तो जरूर."

ड्राइविंग का शौक आत्मनिर्भरता और आजादी का अहसास कराता है. लेकिन इस पेशे को हिकारत की नजर से देखने वालों की भी कमी नहीं. ऐसे में जरूरी है कि ऊंच नीच की धारणाओं को तोड़ा जाए और युवा पीढ़ियों के लिए इस पेशे को और आकर्षक बनाया जाए.

रिपोर्ट: क्रिस्टीना रोडर/ओएसजे

संपादन: अनवर जमाल अशरफ