ट्रंप की जीत से सऊदी अरब में खलबली?
१० नवम्बर २०१६ट्रंप समझते हैं कि अमेरिका की मदद के बिना सऊदी अरब ज्यादा दिन तक टिका नहीं रह सकता. जनवरी में सत्ता संभालने के बाद ट्रंप के साथ ही चार साल तक अब अरब देशों को निभाना होगा. खास कर सीरिया से लेकर मोसुल तक जारी लड़ाई को खत्म करने, तेल के गिरते दामों को संभालने और क्षेत्र में पैदा मानवीय संकट से निपटने में उन्हें अमेरिका की जरूरत है.
चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप ने मुसमलानों को खूब बुरा भला कहा है और इसीलिए सऊदी प्रिंस अलवालीद बिन तलाल ने उन्हें ट्विटर पर "कंलक" बताया था. ट्रंप ने अरब देशों के खिलाफ भी काफी कुछ बोला. इसलिए ट्रंप के राष्ट्रपति रहते अरब देशों के साथ अमेरिका से संबंध सहज तो नहीं दिखते.
हालांकि ट्रंप की जीत के बाद प्रिंस अलावलीद बिन तलाल ने ट्रंप को बधाई देते हुए लिखा, “निर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप, अतीत के जो भी मदभेद रहे, लेकिन अमेरिका ने अपना फैसला दे दिया है. आपको बधाई और राष्ट्रपति के कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं.”
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ये अभी साफ नहीं है कि राष्ट्रपति ट्रंप रिपब्लिकन उम्मीदवार ट्रंप से कितने अलग होंगे. उनकी जीत पर अरब देशों की तरफ से तुरंत बधाई संदेश दिए गए हैं, लेकिन वे नपे तुले और संक्षिप्त ही थे. सऊदी शाह सलमान ने ट्रंप को बधाई देते हुए उम्मीद जताई कि उनके दौर में "मध्य पूर्व और पूरी दुनिया में सुरक्षा और स्थिरता कायम करने में मदद मिलेगी.”
लेकिन इस प्रोटोकॉल से परे ट्रंप की जीत पर अरब दुनिया के बहुत से शासकों में चिंता की लहर दौड़ गई है. उनके सामने अब एक नया अमेरिका होगा जिसकी बागडोर ऐसे आदमी के हाथ में है जो दशकों से चल रहे समीकरणों को उलट-पलट कर सकता है.
रियाद के किंग फैसल सेंटर फॉर रिसर्च एंड इस्लामिक स्टडीज में सीनियर फेलो और सऊदी शाही परिवार के सदस्य प्रिंस सुल्तान बिन खालेद कहते हैं कि अमेरिकी चुनाव में जो कुछ उन्होंने कहा और जो कुछ वो अब करेंगे, उनमें जमीन आसमान का अंतर होगा.
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वो कहते हैं, "विदेश नीति एक आदमी नहीं बनाता है. लेकिन ठीक ठीक यह कहना पाना भी मुश्किल है कि उनकी नीति क्या होगी.” ट्रंप के चुनावी बयान तो अरब देशों के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं रहे हैं. उन्होंने कहा कि जिन देशों को अमेरिका समर्थन देता है, उन्हें इसकी एवज में अमेरिका को भुगतान करना चाहिए. उन्होंने मार्च में न्यूयॉर्क टाइम्स से बातचीत में कहा था, "अमेरिका के बिना सऊदी अरब का अस्तित्व ज्यादा समय तक नहीं रह सकता.”
एके/एमजे (रॉयटर्स)