ट्यूनीशिया में नया संविधान स्वीकृत
२७ जनवरी २०१४संविधान पर वोटिंग से पहले प्रधानमंत्री मेहदी जोम्मा ने डील के मुताबिक अंतरिम कैबिनेट बनाई. इस्लामी पार्टी और धर्मनिरपेक्ष विपक्ष के बीच जारी संकट को खत्म करने के लिए यह समझौता किया गया था.
ट्यूनीशिया में पास हुआ संविधान और विकास लीबिया, मिस्र और यमन के हालात से बिलकुल विपरीत है. 2011 में अरब देशों में शुरू हुई क्रांति के बाद ये देश अभी भी अस्थिरता से जूझ रहे हैं.
संविधान पास होने के बाद स्पीकर मुस्तफा बेन जाफर ने कहा, "यह संविधान ट्यूनीशियाई लोगों का सपना था. यह संविधान सबूत है कि क्रांति बहाल हुई है और इस संविधान से एक लोकतांत्रिक देश का निर्माण होगा."
नए संविधान के मुताबिक ट्यूनीशिया अभी भी इस्लामी देश है लेकिन सभी धर्मों को मानने की आजादी होगी और लैंगिक समानता का भी प्रावधान है. ट्यूनीशिया अरब देशों में सबसे धर्म निरपेक्ष देश माना जाता है. क्रांति के बाद से वहां अति रुढ़िवादी सलाफी जहां सिर उठा रहे थे, वहीं इस्लाम की भूमिका पर भी मतभेद था. पिछले साल दो विपक्षी नेताओं की हत्या के कारण देश की सत्ताधारी उदारवादी पार्टी के साथ टकराव की स्थिति पैदा हो गई थी. विपक्षी पार्टी का सत्ताधारी एनाहदा पार्टी पर आरोप था कि वह कट्टरपंथी इस्लामियों पर सख्ती नहीं बरत रही.
अब नए संविधान को समझौते के प्रतीक के तौर पर देखा जा रहा है. एनाहदा पार्टी के प्रमुख रेचेड घनौची ने उम्मीद जताई, "इसके साथ ट्यूनीशिया इलाके के लिए मॉडल बनेगा." जिस काम में ट्यूनीशिया को सफलता मिल गई है, उसमें दूसरे देशों को काफी मुश्किलें आ रही हैं. लीबिया में इस्लामिस्ट और नेशनलिस्ट पार्टी बदलाव के मुद्दे पर अड़े हुए हैं, संविधान का मसौदा भी तैयार नहीं हुआ है और मिलिशिया का आतंक बढ़ता जा रहा है. उधर मिस्र में इस्लामी राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी को सेना ने हटा दिया, उन्हें जेल में डाला और उनकी पार्टी मुस्लिम ब्रदरहुड को आतंकी संगठन करार दे दिया है. अब सैन्य प्रमुख जनरल अब्देल फत्ताह अल सिसी के संविधान मसौदे को मिस्र वासियों ने मंजूरी दी है.
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून ने नए संविधान के पास होने को ऐतिहासिक बताते हुए इसे सुधार की तलाश कर रहे देशों के लिए मॉडल बताया है.
एएम/आईबी (रॉयटर्स, एएफपी)