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टैक्सी से किस्मत का खेल

६ अगस्त २०१४

टैक्सी से सफर करना अकसर अपने साथ मजेदार और कभी कभी अजीब से अनुभव लेकर आता है. देखते ही देखते अपने आप एक कहानी बन जाती है, कुछ कुछ फिल्मों की तरह.

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तस्वीर: imago

आपने टैक्सी बुलाई. आप टैक्सी में चढे. एक अनजान ड्राइवर आपको आपकी मंजिल तक पहुंचाने वाला है. क्या पता, उसका दिन अब तक कैसा बीता हो. टैक्सी ड्राइवर भी नहीं जानता कि उसकी गाड़ी में कौन चढ़ेगा. क्या ग्राहक गुस्से में होगा, दुखी होगा, उसे कहां ले जाना होगा. क्या यात्रा लंबी होगी. टैक्सी के अंदर की दुनिया अलग होती है जिसमें दो लोग एक दूसरे के बहुत करीब आते हैं और जो कुछ भी होता है, उसे पहले से तय नहीं किया जा सकता. इसी आधार पर कई फिल्में भी बनी हैं.

टैक्सी और किस्मत

फिल्म 'द फिफ्त एलिमेंट' में कहानी शुरू होती है जब एक सुंदर लड़की की भूमिका निभा रहीं मीला योवोविच एक्टर ब्रूस विलिस की टैक्सी में जाकर बैठ जाती हैं. फिर दोनों को पता चलता है कि उन्हें दुनिया को एलियेंस से बचाना है. हॉलिवुड फिल्म 'कोलैटरल' भी टैक्सी से शुरू होती है. ड्राइवर मैक्स का किरदार निभा रहे जेमी फॉक्स के लिए साधारण सा दिन चल रहा होता है जब अचानक उनकी टैक्सी में टॉम क्रूस आकर बैठ जाते हैं. परेशानी यह है कि क्रूस एक खूनी हैं और वह किसी के मर्डर में फॉक्स की मदद चाहते हैं. मैक्स देखता रहता है कि खूनी किस तरह उसकी टैक्सी से एक जगह से दूसरी जगह जाकर लोगों को मौत के घाट उतारता है.

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न्यूयॉर्क में टैक्सीतस्वीर: picture-alliance/dpa

इसी तरह की कहानी नाना पाटेकर और जॉन अब्राहम की फिल्म 'टैक्सी नंबर 9211' की है जिसमें जय का किरदार निभा रहे अब्राहम अपने लॉकर की चाबी नाना पाटेकर की टैक्सी में छोड़ जाते हैं. दोनों के बीच लड़ाई शुरू हो जाती है और दोनों एक दूसरे को खत्म करने में लग जाते हैं.

टैक्सी और दोस्ती

Bildergalerie Nobert de Niro 70. Geburtstag
अमेरिकी अभिनेता रॉबर्ट डी नीरोतस्वीर: picture-alliance/dpa

1954 में भारतीय फिल्म 'टैक्सी ड्राइवर' में देवानंद एक टैक्सी ड्राइवर हैं जो दिन में गाड़ी चलाता है और रात में शराब पीकर सो जाता है. उसकी एक दोस्त है सिल्वी जो एक क्लब में डांसर है. एक दिन टैक्सी में उन्हें माला नाम की लड़की मिलती है जिससे उन्हें प्यार हो जाता है. लेकिन सिल्वी के बारे में जानने के बाद माला उसे छोड़ देती है. ड्राइवर माला को खोजने निकलता है, लेकिन तब तक वह एक मशहूर गायक बन चुकी होती है. क्या ड्राइवर को माला मिलती है?

1954 में ही बनी 'आर पार' में गुरुदत्त टैक्सी ड्राइवर होते हैं. कालू से दो लड़कियों को प्यार है लेकिन कालू जीवन में कुछ बनकर दिखाना चाहता है. कालू के पास दो विकल्प हैं, चोरी का रास्ता अपनाकर जलदी अमीर बनने का या फिर मेहनत करके रात में चैन की नंद सोने का.

1976 में बनी हॉलिवुड फिल्म 'टैक्सी ड्राइवर' में रॉबर्ट डी नीरो वियतनाम युद्ध से लौटे हैं और बहुत दुखी हैं. वह न्यूयॉर्क को गरीबी और चोरी से मुक्त कराना चाहते हैं. टैक्सी चलाते वक्त उन्हें जिंदगी में कई लोग मिलते हैं, राजनीतिज्ञ से लेकर वैश्याओं तक जो किसी तरह अपना जीवन जी रहे हैं. ड्राइवर शहर के गुंडो को खत्म कर पाता है या नहीं, यही फिल्म की कहानी है.

हर टैक्सी में एक कहानी

Bollywood Schauspieler Dev Anand Porträtfoto
देव आनंदतस्वीर: AP

1991 में निर्देशक जिम यारमुश ने 'पांच शहरों में पांच टैक्सियों' की कहानियां सुनाई. यह कहानियां बिलकुल अलग अलग हैं लेकिन उन्हें टैक्सी जोड़ती है. हर टैक्सी में शहर का अपना माहौल समा जाता है और टैक्सी में बैठने वाले लोग कभी कभी एक भाषा भी नहीं बोलते. फिल्म 'नाइट ऑन अर्थ' में एक टैक्सी के अंदर दुनिया को दर्शाया गया है. कहानियां खत्म नहीं होतीं. दर्शक को खुद तय करना होता है कि पात्रों के साथ आगे क्या होता है.

हिन्दी फिल्मों में भी टैक्सी एक अहम भूमिका निभाती है. कई बार एक किरदार मुंबई में पहला कदम रखता है और टैक्सी लेता है. मुंबई शहर को करोडों लोगों ने शायद फिल्मों में टैक्सी के अंदर से देखा होगा. टैक्सी वाला कभी चोर तो कभी हीरो का अच्छा दोस्त बन जाता है. कभी कभी हीरो खुद टैक्सी चलाता है और अपनी प्रेमिका को लड़ झगड़ कर पाने के बाद उसके साथ टैक्सी में ही निकल जाता है.

रिपोर्टः सिल्के वुंश/मानसी गोपालकृष्णन

संपादनः ईशा भाटिया