टूनपुर का सुपरहीरो भारत में एनिमेशन की उम्मीद
२३ दिसम्बर २०१०टूनपुर का सुपरहीरो में 1988 का ऑस्कर जीतने वाली फिल्म हू फ्रेम्ड रोजर रैबिट की तरह ही एनिमेटेड और वास्तविक कलाकारों का संगम है. इस हफ्ते रिलीज हो रही फिल्म का बॉक्स ऑफिस पर प्रदर्शन बड़े खिलाड़ियों को एनिमेशन की दुनिया की ओर खींच सकता है. जानकारों का मानना है कि मुख्यधारा के कलाकारों का एनिमेशन फिल्मों से जुड़ना एनिमेशन इंडस्ट्री के लिए मुनाफे का सौदा साबित होगा. एनिमेशन रिपोर्टर मैगजीन से जुड़े एंड्रयू गोंजाल्विस कहते हैं," बड़े कलाकारों के एनिमेशन फिल्मों में आने से बड़ा फायदा होगा, कई बड़े प्रोजेक्ट भी शुरु होंगे."
पांच साल पहले भारत में एनिमेशन फिल्मों को आने वाले दौर की बड़ी चीज कहा गया. इस दौर में फिल्मकारों ने एनिमेशन का विदेशी निर्देशकों की तरह अपने यहां भी एनिमेशन का इस्तेमाल शुरू किया. इन उम्मीदों को छोटे बजट की फिल्म हनुमान की जबर्दस्त सफलता से भी काफी हवा मिली. इसी सफलता को भुनाने के लिए हनुमान का पार्ट 2 भी आया. इसी वक्त अमेरिकी प्रोडक्शन कंपनी डिज्नी ने बॉलीवुड स्टारों के साथ मिल कर पहली बड़ी एनिमेशन फिल्म बनाई रोडसाइड रोमियो, दोनों फिल्में नाकाम रही और फिर बाद के महीनों में एनिमेशन के बड़े प्रोजेक्ट पर पाला पड़ गया.इसके कुछ ही दिनों बाद दुनिया भर में छाई मंदी ने भी काम बिगाड़ा और फाइनेंसरों ने अपने हाथ पूरी तरह खीच लिए. पर अब एक बार फिर वक्त का पहिया एनिमेशन के दौर की तरफ बढ़ रहा है. पिछले साल भारत में एनिमेशन और गेमिंग का कारोबार 300 करोड़ रुपये का है जिसके 2013 तक 1,000 करोड़ के पार चले जाने की उम्मीद है.
हॉलीवुड में एक एनिमेशन फिल्म बनाने का खर्च 400-460 करोड़ रुपये तक आता है पर भारत में इसके काफी कम लागत में ही फिल्म बन जता ही है. टूनपुर का हीरो भारत की पहली थ्रीडी एनिमेशन फिल्म हैं जिसमें वास्तविक कलाकारों ने भी काम किया है. इसे बनाने का खर्च करीब 40-50 करोड़ रुपये की बीच आने की बात कही जा रही है.
हालांकि भारत में इतने पैसे लगाने वाले लोगों को भी ढूंढना मुश्किल काम है. पैसा लगाने वाले बॉक्स ऑफिस पर सफलता की गारंटी चाहते हैं. टूनपुर के सुपरहीरो में काम कर रहे अजय देवगन कहते हैं कि वो पिछली नाकामियों से नहीं नहीं डरते. पहले एक्शन हीरो के रूप में अपना जलवा दिखा चुके अजय अपने बच्चों के लिए रियल लाइफ हीरो के रूप में सामने आना चाहते हैं. अजय फिल्म के बारे में कहते हैं,"मैं इसमें काम करने पर इसलिए तैयार हुआ क्योंकि मुझे इसकी स्क्रिप्ट बेहद पसंद आई, जब कोई रियल कैरेक्टर आपके आसपास न हो तो एक्टिंग काफी मुश्किल होती है, पहले तो मैं भी घबराया था कि ये क्या कर रहा हूं लेकिन जब फिल्म बन कर तैयार हुई तो मुझे संतोष मिला."
डिजनी ने वॉल ई, राटाटुईले, द इन्क्रेडिबल्स और दूसरी फिल्मों के जरिए काफी सफलता हासिल की है और उसने 2004 में भारत में अपना कारोबार शुरू किया. भारत में डिजनी ने अपने टीवी चैनलों हंगामा, जेटिक्स और डिज्नी के जरिए खूब कामयाबी पाई है. अब उसने दक्षिण भारत में स्थानीय दर्शकों की पसंद के मुताबिक प्रोडक्शन भी शुरु कर दिया है.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः ए कुमार