टीम मेरी अहमियत समझती है: लक्ष्मण
१ जनवरी २०११वीवीएस लक्ष्मण ने ऐसी कई शानदार पारियां खेलीं जो क्रिकेट प्रेमियों को दशकों तक याद रहेंगी खासकर कोलकाता के ईडन गार्डन्स मैदान में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली गई 281 रन की पारी. लक्ष्मण की खास बात यह है कि वह ऐसे समय में टीम की उम्मीदों को सहारा देते हैं जब नामी बल्लेबाज पैवेलियन लौट गए होते हैं. डरबन टेस्ट में भी नाजुक समय में उन्होंने 96 रन की शानदार पारी खेली और उसके बाद भारत दक्षिण अफ्रीका को हराने में कामयाब रहा.
लेकिन क्रिकेट विश्लेषकों का मानना है कि संकटमोचक की भूमिका निभाने के बावजूद हैदराबाद के इस बल्लेबाज को वह सम्मान और पहचान नहीं मिली जिसके वह हकदार हैं. हालांकि लक्ष्मण इन बातों को ज्यादा भाव नहीं देते और बताते हैं कि टीम के खिलाड़ी उनका सम्मान करते हैं. वह कहते हैं, "मेरे लिए सबसे बड़े सम्मान की बात यह है कि टीम के खिलाड़ी जानते हैं कि मुश्किल समय में कोई खिलाड़ी है जो टीम की मदद के लिए आएगा. विपक्षी टीम भी जोखिम उठाने से डरती है."
लक्ष्मण के मुताबिक उन्होंने मुश्किल समय में अच्छा प्रदर्शन किया है और यह बात उन्हें बेहद संतुष्टि देती है. भारतीय टीम के ड्रेसिंग रूम में मिलने वाला सम्मान लक्ष्मण के लिए बेहद खास है. लक्ष्मण का कहना है कि भारत ने हाल के समय में बढ़िया क्रिकेट खेली है और यह सफलता इसलिए भी मायने रखती है क्योंकि आलोचक कहने लगे थे कि टीम इंडिया टेस्ट क्रिकेट में नंबर एक पोजीशन से हट जाएगी.
डरबन टेस्ट में मैन ऑफ द मैच बनने वाले लक्ष्मण ने बताया, "जैसे ही हमने श्रीलंका के खिलाफ गॉल टेस्ट हारा तो आलोचक कहने लगे कि भारतीय टीम सिर्फ घरेलू मैदानों पर ही जीत हासिल कर सकती है. हम पर ताने कसे जाते कि वे देखना चाहेंगे कि भारतीय टीम विदेश में जीत कैसे हासिल करती है." लेकिन कमर में दर्द के बावजूद लक्ष्मण के शानदार शतक की बदौलत ही भारतीय टीम ने कोलंबो टेस्ट जीता और भारत सीरीज बराबर करने में सफल रहा.
डरबन टेस्ट जीतने के बाद भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच सीरीज 1-1 से बराबर है. लक्ष्मण का कहना है कि डरबन टेस्ट में जीत बेहद खास है क्योंकि डरबन का विकेट काफी तेज माना जाता है. इसलिए जीत का मजा दोगुना हो गया है. लोग कहते थे कि डरबन में दक्षिण अफ्रीका विपक्षी टीम को दबाव में लाने की कोशिश करता है इसलिए ऐसी परिस्थितियों में उसे हराने से काफी खुशी हुई है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: ए कुमार