टिकाऊ बनो लेकिन स्टाइल से
८ नवम्बर २०१२कोलोन में ग्रीन गेरिलास और आर्म्ड एंजल्स दुकानों में आपको कभी जाने का मौका मिले तो आप देखेंगे कि यहां की अलमारियों में रखे कपड़े कितने रंग बिरंगे और सुंदर हैं, बिल्कुल एक साधारण कपड़ों की दुकान की तरह. फर्क बस यही है कि यह कपड़े पर्यावरण को बचाने में भी मदद कर रहे हैं. यह कपड़े फेयर ट्रेड से पाए गए कच्चे माल से बने हैं. इसमें भारत से लाया गया फेयर ट्रेड सूती भी है यानी जो लोग भारत में इसके लिए कपास उगाते हैं, उन्हें इसके लिए वाजिब दाम मिलता है. सारे कपड़े ग्लोबल ऑर्गैनिक टेक्सटाइल स्टैंडर्ड यानी जीओटीएस के हैं.
लेकिन ऐसे कपड़े बनाना और बेचना आसान नहीं. ग्रीन गेरिलास की मारलीस बिंडर कहती हैं कि उन्हें आज भी लोग मिलते हैं जो कहते हैं कि टिकाऊ कपड़े "बोरिंग" हैं. "हमें दिखाना है कि हमारे कपड़े टिकाऊ ही नहीं लेकिन बहुत ही आकर्षक हैं. लेकिन आज कल लोगों को हमारे कपड़े पसंद आ रहे हैं."
वाजिब दाम महंगा पड़ा
टिकाऊ तरीके से उगाए गए कपास या बिना किसी जीव को परेशान किए ऊन हासिल करना महंगा पड़ता है और इसका असर कपड़ों के दामों पर दिखता है. बड़े ब्रैंड ज्यादा तादाद में कपड़ों का उत्पादन करते हैं और इसलिए इन्हें सस्ता बेच पाते हैं लेकिन टिकाऊ कपड़े बेचने वाली दुकानें क्वालिटी पर ध्यान देती हैं.
आर्म्ड एजंल्स ब्रैंड 2007 में बनाया गया और जर्मनी में यह फैशन का प्रतीक माना जाता है. कंपनी के संस्थापक मार्टिन होएफेलर कहते हैं, "हम जिस तरह से ऑर्गेनिक, न्यायपूर्ण और सामाजिक कपड़े बनाते हैं, वह बहुत महंगा है. हमारे ग्राहक जानते हैं कि हमसे वे अच्छे कपड़े खरीद सकते हैं. मनुष्य हो या जानवर, इन कपड़ो के उत्पादन में किसी को भी हानि नहीं पहुंचती. हम जिस तरह से कपड़े बनाते हैं और जो डिजाइन बनाते हैं उसके लिए थोड़ी ज्यादा कीमत देना सही है." होएफेलर चाहते हैं कि लोग इस बात को भी समझे कि उनके कपड़े किस तरह बनते हैं.
हरा फैशन
टिकाऊ के साथ स्टाइलिश कपड़े बाजार में आसानी से नहीं मिलते. लेकिन कुछ साल में बड़ी कंपनियां भी इस तरह के कपड़े बाजार में ला रही हैं. एच एंड एम ने कहा है कि 2020 से वे केवल टिकाऊ कपास का इस्तेमाल करेंगे. 2012 मार्च में उन्होंने अपना 'कॉन्शियस कलेकशन' शुरू किया. कंपनी के प्रमुख कार्ल योहान पेरसन ने एक बयान में कहा है कि वह चाहते हैं कि उनके ग्राहकों को भी पता चले कि यह कपड़े लोगों और पर्यावरण को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं.
हाई फैशन भी टिकाऊ होने की कोशिश कर रहा है. ईको एज नाम के संगठन की लिविया फर्त कोशिश करती रहती हैं कि फिल्मी सितारे लाल कालीन पर भी ईको फ्रेंडली कपड़े पहने. प्रादा, स्टेला मैककार्टनी और टॉम फर्ड जैसे डिजाइनर अभी से ऐसा कर रहे हैं और कैमरन डियस जैसे सितारों के लिए खास कपड़े बना रहे हैं.
रिपोर्टः सारा एब्रहम/एमजी
संपादनः आभा मोंढे