झूठी जाति बताने वाले कांग्रेस सांसद अयोग्य करार
२६ जुलाई २०१०सुरेश को जाति के बारे में झूठ बोलने का दोषी पाया गया. हाई कोर्ट ने कहा कि सुरेश वे लाभ लेने के योग्य नहीं हैं जो अनुसूचित जाति के सदस्यों को मिलने चाहिए. सुरेश के खिलाफ इस सीट पर चुनाव हारने वाले सीपीआई के सांसद एएस अनिल कुमार ने दो अन्य उम्मीदवारों के साथ मिलकर एक याचिका दायर की थी. इस मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस एम. शशिधरन नांबियार ने पाया कि सुरेश चेरमार जाति के हैं ही नहीं और इसलिए वह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट पर चुनाव नहीं लड़ सकते.
सुरेश ने अपनी जाति साबित करने के लिए जितने भी प्रमाण पत्र दिए, उन सभी कोर्ट ने खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि इनमें से कोई भी प्रमाण पत्र यह साबित नहीं करता कि सुरेश अनुसूचित जाति चेरमार से संबंध रखते हैं.
कोर्ट को पता चला कि सुरेश ने विरोधाभासी जाति प्रमाण पत्र पेश किए थे. 194 पेज के फैसले में जज ने रिटर्निंग ऑफिसर को भी लताड़ लगाई. कोर्ट ने कहा कि रिटर्निंग ऑफिसर को यह सुनिश्चित किए बिना सुरेश का नामांकन पत्र स्वीकार नहीं करना चाहिए था कि वह अनुसूचित जाति के हैं या नहीं. जस्टिस नांबियार ने कहा कि सुरेश का नामांकन स्वीकार करना गलत था. इसकी सूचना चुनाव आयोग और लोकसभा अध्यक्ष को भी फौरन भेज दी गई है.
सुरेश सबसे पहले 1989 में अडूर लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर संसद गए थे. उसके बाद उन्होंने वहां से लगातार तीन बार, 1991, 1996 और 1998 में चुनाव जीता.
2009 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने मावेलिकारा सीट से 48 हजार से ज्यादा वोटों से चुनाव जीता था. लेकिन परिसीमन के बाद अडूर लोकसभा सीट खत्म कर दी गई. 2009 में सुरेश ने मालविकारा से चुनाव लड़ा और 48 हजार से ज्यादा मतों से जीता.
कांग्रेस की राष्ट्रीय कमेटी में सचिव सुरेश ने कहा कि वह फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे. उन्होंने कहा कि यह सब उनके खिलाफ साजिश है जिसमें विपक्षी दलों के अलावा उनकी पार्टी के कुछ लोगों का भी हाथ है.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः ओ सिंह