1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

ज्ञान विज्ञान से भरपूर मंथन

२ सितम्बर २०१३

मंथन में दी गयी जानकारियों के साथ पाठकों को अच्छा लग रहा है डेली इंटरनेट कोड ढूंढना. वृद्धाश्रम में रह रहे लोगों की दशा को हमारे एक पाठक ने कविता में लिख भेजा है. पढ़िए आप भी.

https://p.dw.com/p/19aDe
Junge Musiker aus dem neu gegründeten Kinderorchester Ruhr spielen am Montag (05.02.2007) in Bochum auf ihren Instrumenten. Am Vormittag wurde das Projekt "Jedem Kind ein Instrument" vorgestellt, bei dem alle Grundschulkinder des Ruhrgebiets über den Zeitraum von vier Jahren die Chance eines qualifizierten Instrumentaluntericht bekommen soll. Foto: Bernd Thissen dpa/lnw +++(c) dpa - Bildfunk+++
तस्वीर: picture alliance/dpa

"मंथन" देखते देखते मंथन का 50वां एपिसोड भी बीत गया. अब तक की सफल प्रस्तुति और गोल्डन जुबली की हार्दिक बधाईयां. मुझे खुशी है कि DW हिन्दी अपने भारतीय पाठकों के लिए ज्ञान विज्ञान से भरपूर धारावाहिक मंथन प्रस्तुत कर रहा है. मंथन से जहां विद्यार्थी वर्ग ज्यादा लाभ प्राप्त कर रहे हैं वहीं डॉक्टर, इंजीनियर, किसान तथा अन्य वर्ग भी इससे भरपूर ज्ञानार्जन कर रहे हैं.

अनिल कुमार द्विवेदी, सैदापुर अमेठी, उत्तर प्रदेश

~~~

वायलिन के बारे में रिपोर्ट देख कर बहुत अच्छा लगा. इस मधुर साज को तो सुनते ही रहते हैं लेकिन इसको बनाने के बारे में जो जानकारी आपने दी है, वह तो बहुत खूब रही. इस के कारीगर जंगलों में जाकर इसकी लकड़ी बड़ी ही सावधानी से ढूंढते हैं और फिर उसको अपनी कला से लोगों के लिए मधुर सुर बिखेरने वाला साज बना लेते हैं. इस बात में कोई शक नहीं कि आप जो विषय चुनते हैं, उनमें हमारी दिलचस्पी का भी बहुत सामान होता है, जिसे हम बहुत पसंद करते हैं.
"ब्राजील के आवा आदिवासी मंथन में" मेरे लिए यह बात तो बहुत अहम और रोचक है कि पाकिस्तान के एक छोटे से नगर में रहते हुए भी, मैं डॉयचे वेले से जुड़े रहने के सबब ब्राजील के अमेजन जंगलों में रहने वाले आवा आदिवासियों के बारे में करीब से जान रहा हूं. आप जो भी टापिक लेते हैं रिपोर्टिंग के लिए, वह बहुत अहम होते हैं. अब इस विषय को ही ले लें तो एहसास होता है कि दुनिया की तमाम बातों से दूर अपनी अलग जिंदगी बिता रहे ब्राजील के अमेजन जंगलों में रहने वाले यह आवा आदिवासी कितने मसलों का शिकार हैं कि एक तरह से इनसे इनके जीने का हक भी छीना जा रहा है. हालांकि तादाद में यह लोग बहुत कम ही बचे हैं. बहुत अच्छी रिपोर्ट के लिए मंथन और डॉयच वेले का शुक्रिया.

आजम अली सूमरो, ईगल इंटरनेशनल रेडियो लिस्नर्स कलब, खैरपुर मीरस सिंध, पाकिस्तान
~~~

Indian Muslim women hold posters during a protest march against the gang-rape of a female photographer in Mumbai on August 26, 2013. Mumbai police arrested the fifth and final member of a gang suspected of raping a photographer, a crime that reignited anger about women's safety in India following a similar attack last year. The latest arrest came as the victim's family urged the nation, including the media, to continue to fight for justice 'for all those victims and their families' who have gone through 'the same hell as we have'. AFP PHOTO/Indranil MUKHERJEE (Photo credit should read INDRANIL MUKHERJEE/AFP/Getty Images)
तस्वीर: Indranil Mukherjee/AFP/Getty Images

मुंबई की हालिया गैंग रेप की घटना से एक बार पुनः समूचा देश हिल गया. इस संदर्भ में डॉयचे वेले सूचनात्मक समाचार ‘आरोपियों को कोसते पड़ोसी' को पढ़ने के बाद लगा कि शायद हम अपने कर्तव्यों और दायित्वों से मुंह मोड़ने लगे हैं. अन्यथा जो पड़ोसी आज इस विषय को लेकर खुलकर बातें कर रहे हैं बीते कल में ये बातें वो पुलिस तक भी पहुंचा सकते थे. वो लड़के चोरियां करते थे, नशेड़ी थे या आए दिन दारू पीकर हुड़दंग किया करते थे, इस तरह की बातों की जानकारी नजदीकी थाने तक जरूर होनी चाहिए ताकि ऐसे अपराधियों को ये पता रहे की वो पुलिस की निगाह में हैं. इससे न केवल आम आदमी को राहत रहती है बल्कि पुलिस को भी अपराधियों तक पहुंचने में आसानी रहती है. डॉयचे वेले द्वारा उक्त समाचार के नए पहलू पर समीक्षा करने के लिए धन्यवाद.

रवि श्रीवास्तव, इंटरनेशनल फ्रेंडस क्लब, इलाहाबाद

~~~

मंथन के साथ साथ मुझे सबसे अच्छा लगता है डेली इंटरनेट कोड ढूंढना जिसे ढूंढने के लिए डीडब्ल्यू हिन्दी की वेबसाइट पर जाने का मन होता है. मैं डीडब्ल्यू हिन्दी की जानकारी अपने जान पहचान के लोगों को दे रहा हूं. 2-3 महीने में मैंने 397 लोगों से संपर्क किया हूं. काफी लोग आपसे जुड़ने के लिए मुझे प्रोत्साहन दे रहे हैं . मैंने हर रोज एक व्यक्ति से डीडब्ल्यू हिन्दी के बारे में जानकारी देने का निश्चय किया है. क्या आप लोगों को मेरा यह उपक्रम अच्छा लगा या कोई गलती तो नहीं हो रही.

प्रमोद आर. भराटे, जलना, महाराष्ट्र

~~~

इस कविता में मैंने वृद्धाश्रम में रह रहे लोगों को विभिन्न शब्दों में स्थापित किया है और कोशिश की है उस पल को आपसे मिलाने की …

"बिखरे शब्द "
अनेकों बार दिखते थे
आते जाते लडखडाए दरवाजे से
कमरे में पड़े वो बिखरे शब्दों के मंजर
खंडहर सी हो चली थी
कुछ टूटे, कुछ फूटे पर गहराइयो में डूबे
समेटना मुश्किल था भावों के जोड़ने के संग
टिके थे कुछ शब्द दीवार से वोटे लगाये
मानो बया कर रहे हों कोई सहारे का कलम बन मुझको खड़ा कर जाये
कुछ और भी थे जो बिलबिलाए से
रुआंसे हुए झुर्रियां लिए
शायद बता रहे हैं मलाल अब भी, न चुने जाने का किसी कविता के घरौदे में
कुछ शब्दों ने तो अपने अस्तित्व खो दिए हैं
और खो गये किसी अनजान जहां में
कुछ थे बैठे बेंचों पर पैर हिलाए गुनगुना रहे थे
लगा जैसे खुशियों से भरे शब्दों में उन्हें बार-2 पढ़ रहा हैं कोई
कुछ मग्न थे छत की दीवारों में आंखों में खोई हुई विस्मृतियों संग
ऐसे अनेकों थे
जिसमें से कुछ ने मेरी रूह को छू लिया
और बंध गया मेरे कविता के बंधन में
पर जोखिम भरा था मेरे लिए इस पल को समेट पाना
और इस ब्लैक एंड वाइट का लिहाफ इस रंगीन दुनिया पे चढ़ा पाना.

प्रवीण पांडे, नई दिल्ली

~~~

संकलनः विनोद चड्ढा

संपादनः आभा मोंढे