जेब्राफिश की धारियों का राज
११ जून २०१४जेब्राफिश नाम की ये मछली दक्षिणपूर्वी हिमालय के इलाकों से आई है. अब ये दुनिया के हर शोध संस्थान में होती है, जैसे यहां ट्यूबिंगन में. 1995 में क्रिस्टियाने नुसलाइन फोलहार्ड को चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार दिया गया. उन्होंने जेब्राफिश और इंसानों की समानता के बारे में पता लगाया था, "मछलियों में रीढ़ की हड्डी होती है और इसलिए इनमें कशेरुकी प्राणियों के मूल गुण हैं. मेटाबोलिज्म, पाचन, दिल या खून के बारे में पता लगाने के लिए जेबराफिश पर शोध से काफी कुछ पता किया जा सकता है. आप काफी विस्तृत ऑब्जरवेशन कर सकते हैं और सवाल कर सकते हैं कि क्या इंसान में भी ये एक जैसा है या अलग है. इंसान में शुरू से शोध करने की तुलना में ये आसान है."
कैसे बनीं धारियां
माक्स प्लांक डेवलपमेंटल बायोलॉजी संस्थान में करीब एक दशक से शोधकर्ता पता लगा रहे हैं कि जेबराफिश पर धारियां कैसे बनती हैं. जैविक मॉलिक्यूल ढूंढने के लिए शोधकर्ताओं ने मछली के भ्रूण में फ्लोरोसेंट प्रोटीन डाले. ब्रिगिटे वाल्डेरिष, लैब मैनेजर ने बताया, "मैं सेल प्रत्यारोपण कर रही हूं यानि मेरे पास डोनर भ्रूण में फ्लोरोसेंट मार्कर है. इन्हें दूसरे भ्रूण में डाला जाता है. इससे कोशिकाएं होस्ट एम्ब्रियो में चली जाती हैं. इनके जरिए मैं इन कोषिकाओं को भ्रूण अवस्था से लेकर वयस्क होने तक देख सकती हूं."
शुरुआती विकास के दौरान ही कोशिकाएं जगह बदलती हैं. और नीले से पराबैंगनी प्रकाश में आने पर वो हरी हो जाती हैं. सेल माइग्रेशन की प्रक्रिया देख कर शोधकर्ता घाव भरने की प्रोसेस समझते हैं. क्रिस्टियाने नुइसलाइन फोलहार्ड बताती हैं, "आप शुरू से इनका विकास देखते हैं और फास्ट फॉरवर्ड करके पता कर सकते हैं कि दिल कैसे बना या कोई मांसपेशी कैसे बनी, खून कैसे शिराओं में बहता है. ये चूहों में नहीं किया जा सकता क्योंकि भ्रूण मां के पेट में होता है. मछली में ये आसान है क्योंकि वो अंडे देती है. इन्हें आप पेट्री डिश या माइक्रोस्कोप में देख सकते हैं. "
अलग दिखने का राज
हालांकि डेवलपमेंटल बायोलॉजी को अभी भी एक सवाल का जवाब नहीं मिला है, जेबरा फिश परिवार की दूसरी मछलियां अलग क्यों दिखती हैं. वे एक ही पुरखे से आए हैं फिर रंग और पैटर्न क्यों बदले? इससे प्रजाति की विविधता का क्या लेना देना है. फोलहार्ड बताती हैं, "हमें अभी भी नहीं समझ में आया कि मोर के पंख इतने सुंदर कैसे होते हैं. पता भी नहीं कि ये समस्या सुलझेगी कैसे क्योंकि मोर पर शोध मुश्किल है और सफेद बाघ पर शोध और भी कठिन."
शोधकर्ताओं ने एक बात पता लगा ली है कि सफेद बाघ जेनेटिक म्यूटेशन के कारण सफेद हुए. इसी वजह से कुछ इंसान भी सफेद होते हैं. शायद जेब्राफिश मोर की खूबसूरती का राज बता दे.
रिपोर्टः परामिता कारिसा/एएम
संपादनः मानसी गोपालकृष्णन