जीन संवर्धित विषाणु से जोखिम भरा प्रयोग
२४ अक्टूबर २०१३हालांकि ये खतरनाक काम है क्योंकि अगर ये खोज गलत हाथों में चली गई तो दुनिया के लिए खतरा पैदा हो सकता है. घातक वायरल जनकों की इंजीनियरिंग के रास्ते में इन सवालों से काफी विवाद पैदा हो गया है. पिछले कुछ महीनों में चीन में एच7एन9 बर्ड फ्लू वायरस के मामले बढ़े हैं. इस विषाणु की काट ढूंढने का दावा कर रहे वैज्ञानिक रोन फोशियर और आब ओसटरहाउज का कहना है कि उनका जीन संवर्धित विषाणु का प्रयोग जोखिम से परे है. ओसटरहाउज कहते हैं, "ये एक गंभीर सवाल है, इस वायरस को संक्रामक होने के लिए किन चीजों की मदद चाहिए? ये समझना बेहद जरूरी है कि आखिर हो क्या रहा है.
ये भी पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि वायरस को फैलाने के लिए उसके जीन में किस तरह के बदलाव किए जा सकते हैं. वैज्ञानिकों को लगता है कि घातक महामारी को रोकने के लिए वे इस प्रयोग के जरिए कारगर उपाय सुझा सकते हैं. "मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए इन वैज्ञानिकों को जैविक लिहाज से अति सुरक्षित प्रयोगशाला मुहैया कराई गई है. ओसटरहाउज कहते हैं, "हम देखना चाहते हैं कि आगे क्या हो सकता है. अगर एच7एन9 मनुष्यों के बीच आसानी से फैल जाता है तो हां अभी के मुकाबले मृत्यु दर थोड़ी कम हो सकती है."
खतरनाक वायरस की काट क्या
एच7एन9 बर्ड फ्लू की चपेट में आने वाले चीन और ताइवान के 136 में से 45 लोगों की मौत हो गई है. इससे पता चलता है कि मृत्यु दर करीब 30 फीसदी है. जॉन हॉपकिंस स्कूल ऑफ मेडिसीन के प्रोफेसर स्टीवन साल्जबर्ग इन वैज्ञानिकों के काम पर सवाल खड़े करते हैं. साल्जबर्ग कहते हैं, 'फोशियर अपने काम को लेकर अस्पष्ट हैं साथ ही उन्हें अपने काम से होने वाले लाभ के बारे में पता नहीं है." साल्जबर्ग कहते हैं, ''रोगजनक पर शोध करना और उसके कार्य से लाभ की धारणा बहुत खतरनाक है. "
चीन में बर्ड फ्लू के वायरस एच7एन9 से फरवरी में महामारी फैली थी. पहले कभी मनुष्य में इस तरह का वायरस नहीं पाया गया था. अप्रैल और मई में वायरस तेजी से फैला और गर्मी में इसके बढ़ने में कमी आई. लेकिन पिछले हफ्ते चीन में एक शख्स में फिर से ये वायरस होने की खबर आई जिससे ये साबित हुआ कि ठंडे मौसम में वायरस दोबारा हमला कर सकता है. नीदरलैंड्स के इरासमुस मेडिकल सेंटर में मुट्ठी भर वैज्ञानिक एच7एन9 वायरस के नस्ल में कभी नए जीन जोड़ रहे हैं या फिर कभी जीन घटा रहे हैं ताकि ये पता लगाया जा सके कि सबसे खराब स्थिति में ये वायरस कितना सक्षम हो सकता है. हालांकि जीन संवर्धित वायरस पर काम करने वाले वैज्ञानिक भी अभी इस बात से पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं कि नए विषाणु के साइड इफेक्ट क्या होंगे और ये कब और किस शक्ल में सामने आएंगे.
एए/ओएसजे (रॉयटर्स)