1990 में पहली बार जब वैज्ञानिकों ने जीन थैरेपी की तो उम्मीद जगी कि जल्द ही अनुवांशिक बीमारियों का इलाज हो सकेगा. लेकिन धीरे धीरे पता चला कि जीन थैरेपी के घातक साइड इफेक्ट्स होते हैं. अब कुछ दिग्गज वैज्ञानिकों के साथ मिलकर एक जर्मन रिसर्चर सफल जीन थैरेपी की ओर बढ़ रहे हैं.