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जिहादियों पर जवाब से ज्यादा सवाल

येंस थुराउ/एमजे३ नवम्बर २०१४

आखिर जर्मनी के नौजवान इस्लामिक स्टेट के लिए जिहाद में क्यों शामिल हो रहे हैं? डॉयचे वेले के येंस थुराउ का कहना है कि जिहाद से लौटने वाले एक लड़ाके पर जर्मनी में चल रहे मुकदमे से अब तक ज्यादा पता नहीं चला है.

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Deutschland Dschihadisten Archiv 2012
तस्वीर: picture-alliance/dpa

वे वहां बैठे थे, उन्हें कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था. जज, सरकारी वकील और पत्रकारों के पास फ्रैंकफर्ट के हाईकोर्ट में चार घंटे की सुनवाई के बाद भी पहले से ज्यादा जानकारी नहीं थी. हालांकि सीरिया में आईएस मिलिशिया के साथ छह महीने तक लड़ने वाला 20 साल का क्रेशनिक बी सब कुछ बताने को तैयार है. लेकिन भोलेपन और गंभीरता के अभाव में लिपटा उसका बयान जवाब से ज्यादा सवाल छोड़ता है. कोसोवार मूल के क्रेशनिक को जर्मनी में किसने चरमपंथी बनाया? सीरिया जाने में उसकी किसने मदद की? वहां उसका समय कैसे बीता? वापस आने में उसकी किसने मदद की? इन सब सवालों के जवाब उसे याद नहीं हैं. साफ है कि वह कोई नाम नहीं लेना चाहता, कोर की भावना के कारण? या फिर उसे अपने पुराने साथियों से बदले का डर है? अदालत में इसका भी जवाब नहीं मिला.

मायूस परिजन

क्रेशनिक के जवाब साधारण, मुख्तसर और परस्पर विरोधी हैं. और अदालत में दर्शकदीर्घा में उसका मायूस परिवार बैठा है, पिता, माता, दो बहनें, इतना तय है कि उन्होंने उसे आईएस छोड़ने के लिए मनाया. क्रेशनिक को सुनकर एक ही शब्द दिमाग में आता है मासूमियत. शायद यह एक जवाब है, असुरक्षित नौजवान इस्लानी कट्टरपंथियों की चपेट में आ जाते हैं और खुद को चरमपंथ से प्रभावित होने देते हैं. क्रेशनिक का कहना है कि वह 2011 तक कतई धार्मिक प्रवृति का नहीं था. और यह भी कि उसने एक बड़े रोमांच की उम्मीद की थी लेकिन उसे इसका मौका नहीं मिला.

DW-Mitarbeiter Jens Thurau
तस्वीर: DW/D. Engels

सीरिया में अरबी जिहादियों की चलती थी, यूरोपीय जिहादियों पर भरोसा नहीं किया जाता था. वह इस मुद्दे पर अपमानित महसूस करता लगता है. तो फिर क्या आईएस आतंकी मिलिशिया उन फंतासियों का अगला क्रम है जो हिंसक कम्प्यूटर गेम्स से शुरू होते हैं?

शांत दिखने वाले जज थोमस जागेबील के सारे प्रयासों के बावजूद इस बात पर धुंध ही रहती है कि युवा जर्मन एक घातक खेल का हिस्सा क्योंकर बना. लेकिन यही हाल पुलिस और खुफिया एजेंसियों का भी है. हर दिन युद्ध क्षेत्र में जाने वाले युवा जर्मनों की तादाद बढ़ती जा रही है. इसकी वजह पहले की ही तरह साफ नहीं है. और यही उनको इतना खतरनाक बनाता है.