जिम्बाब्वे फाइनल में फुस्स, 199 पर ढेर
९ जून २०१०हरारे के मैदान पर श्रीलंका ने टॉस जीता. ट्राई सीरीज़ में अब तक बाद में बल्लेबाजी करने वाली टीम ही जीती है, इसलिए तिलकरत्ने दिलशान ने भी गेंदबाजी चुनी. टॉस जीतते ही उन्होंने कहा, ''यह एक बड़ा मनोवैज्ञानिक फायदा है. टीम में तीन बदलाव किए गए हैं.'' वहीं जिम्बाब्वे ने आखिरी मैच में श्रीलंका को हराने वाली टीम ही उतारी.
मेजबान टीम को पहला झटका पांचवें ओवर में लगा. कुलशेखरा लगातार हैमिल्टन मसाकद्जा को एक गेंद इन स्विंग तो दूसरी आउट स्विंग फेंककर परेशान कर रहे थे. आखिरकार चार रन बनाने वाले मसाकद्जा अपना विकेट गंवा बैठे.
दसवें ओवर में दूसरा विकेट गिरा. 19 रन पर खेल रहे टेलर समरवीरा की गुगली में फंस गए. सलामी बल्लेबाजों को खोते ही जिम्बाब्वे के स्कोर बोर्ड पर ब्रेक सा लग गया. तीन ओवर मेडेन गए. 15 ओवर तक टीम सिर्फ 40 रन बना सकी. दो ओवर बाद इरविन और टाइबू के रन चुराने के चक्कर में असमंजस में पड़ गए. इसकी गलती की कीमत इरविन ने पैवेलियन लौटकर चुकाई.
कुछ हद तक संघर्ष विकेटकीपर बल्लेबाज टाइबू ने किया. उन्होंने 71 रन बनाए. उनका साथ कुछ हद तक 37 रन बनाने वाले लैम्ब ने दिया. दोनों के आउट होते ही विकेटों का पतझड़ फिर से लगा. भारत को दो और श्रीलंका को एक बार हराने वाली जिम्बाब्वे की टीम 49 ओवर में 199 पर ऑल आउट हो गई.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: आभा मोंढे