जिम्बाब्वे को कम नहीं आंकते रैना और कर्स्टन
२८ मई २०१०भारत, श्रीलंका और जिम्बाब्वे के बीच त्रिकोणीय सीरिज की शुक्रवार से शुरुआत हो रही है और पहला मैच भारत और जिम्बाब्वे के बीच खेला जाएगा. कोच गैरी ने टीम के युवा खिलाड़ियों को गुरुमंत्र दिया है कि श्रीलंका और जिम्बाब्वे को कमतर आंकने की गलती न करें. भारत और श्रीलंका ने इस टूर्नामेंट के लिए अपने वरिष्ठ खिलाड़ियों को आराम देते हुए युवा खिलाड़ियों को भेजा है.
कर्स्टन का मानना है कि श्रीलंका ही नहीं बल्कि जिम्बाब्वे की टीम भी मुश्किल चुनौती पेश करेगी. कप्तान सुरेश रैना भी अपने कोच से इत्तफाक रखते हैं और उन्होंने माना है कि स्टार खिलाड़ियों के बगैर मैदान में उतरने वाली टीम इंडिया पर दबाव जरूर होगा और इसलिए वह किसी भी मैच को हल्के में नहीं ले सकते.
भारत और जिम्बाब्वे के बीच मैच बुलावायो के क्वीन्स कल्ब ट्रैक में खेला जाएगा और सुरेश रैना की राय में 270 रन का स्कोर मैचजिताऊ साबित हो सकता है.
"हम हर मैच में 270 रन बनाने की कोशिश करेंगे जो चुनौतीपूर्ण होगा." कर्स्टन के मुताबिक सीनियर खिलाड़ियों की गैरमौजूदगी से युवा खिलाड़ियों को मौका मिला है कि वे 2011 वर्ल्ड कप के लिए टीम में अपनी दावेदारी मजबूत कर सकें.
कर्स्टन ने कहा, "स्वाभाविक रूप से हम अगले वर्ल्ड कप के नजरिए से देख रहे हैं और टीम के सदस्य भी उसे लक्ष्य मान कर चल रहे हैं. टीम में शामिल होने का मौका नए खिलाड़ियों को मिल सकता है और हो सकता है कि वो इन्हीं में से निकल कर आए."
जिम्बाब्वे के नए कप्तान एल्टन चिगुम्बरा मानते हैं कि यह टूर्नामेंट उनकी टीम के लिए बेहद अहम है क्योंकि वह जिम्बाब्वे को एक मजबूत टीम के तौर पर सामने लाना चाहते हैं.
"मजबूत टीम के रूप में सामने आने के लिए हमें कड़ी मेहनत करनी है और इसलिए ये दो हफ्ते हमारे लिए अहम हैं. पिछले कुछ महीनों में हमने अच्छा प्रदर्शन किया है और हम इसे जारी रखना चाहते हैं."
जिम्बाब्वे के कोच एलन बुचर के मुताबिक त्रिकोणीय श्रृंखला के लिए भारत और श्रीलंका ने भले ही दूसरे दर्जे की टीमें भेजी हों लेकिन उससे जिम्बाब्वे की मुश्किलें कम नहीं होंगी.
बुचर मानते हैं कि वरिष्ठ खिलाड़ियों के न होने से फायदा और नुकसान दोनों हो सकता है. फायदा इसलिए क्योंकि वह भारत और श्रीलंका के युवा खिलाड़ियों के अनुभवहीन होने का लाभ उठा सकते हैं और नुकसान इसलिए क्योंकि युवा होने के बावजूद ये बेहतरीन खिलाड़ी हैं जो खुद को साबित करना चाहते हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: आभा मोंढे